सुख का अहसास

आज सरकारी विद्यालयों और महाविद्यालयों में अच्‍छी पढाई न होने से समाज के मध्‍यम वर्ग की जीवनशैली पर बहुत ही बुरा असर पड रहा है। चार वर्ष के अपने बच्‍चे का नामांकण किसी अच्‍छे विद्यालय में लिखाने के लिए हम परेशान रहते हैं , क्‍यूंकि उसके बाद 12 वीं तक की उसकी पढाई का सारा तनाव समाप्‍त हो जाता है। यदि उस बच्‍चे का उस विद्यालय के के जी या नर्सरी में नाम नहीं लिखा सका तो बाद में उस विद्यालय में नाम लिखाना मुश्किल है। जिनकी सिर्फ खेलने कूदने की उम्र होती है , उनका कई कई कि मी दूर के उस विद्यालय में नामांकण से अभिभावक भले ही निश्चिंत हो जाते हों , पर उस दिन से बच्‍चों का बचपन ही समाप्‍त हो जाता है। 

विद्यालय के अंदर पढाई का वातावरण अच्‍छा भी हो , पर वहां आने और जाने में बच्‍चों को जो व्‍यर्थ का समय लगता है , उससे उनके खाने पीने पर अच्‍छा खासा असर पडता है। यहीं से उसके शारिरीक तौर पर कमजोरी की शुरूआत हो जाती है। देश में सबसे पहले ऐसी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए कि पांचवी कक्षा तक की पढाई के लिए हर बच्‍चे के अपने मुहल्‍ले में ही व्‍यवस्‍था हो और पांचवीं के बाद ही मुहल्‍ले के बाहर जाना पडे । दस वर्ष तक के बच्‍चों को मामूली पढाई के लिए इतनी दूर भेजा जाना क्‍या उचित है ?

बारहवीं के बाद बच्‍चे कॉलेज की पढाई के लिए परिवार से कितने दूर चले जाएंगे , वे खुद भी नहीं जानते। देश में हर क्षेत्र और हर विषय में कॉलेजों का रैंकिंग हैं। प्रतिभा के अनुसार बच्‍चों के नामांकण होते हैं । अच्‍छे कॉलेजों से पढाई करने के बाद बच्‍चों का कैरियर अपेक्षाकृत अधिक उज्‍जवल दिखता है , इसलिए उसमें पढाने के लिए बच्‍चे मां बाप से दूर देश के किसी कोने में चले जाते हैं। कम प्रतिभावाले बच्‍चे को भी जुगाड लगाकर या ऊंची फी के साथ दूर दराज के कॉलेजों में नामांकण करा दिया जाता है। 

हम सभी जानते हैं कि किशोरावस्‍था और युवावस्‍था के मध्‍य के इस समयांतराल में बच्‍चों को परिवार या सच्‍चे गुरू  के साथ की आवश्‍यकता होती है , पर ऐसे समय में अकेलापन कभी कभी उन्‍हें गुमराह कर देता है और जीवनभर उन्‍हें भटकने से नहीं बचा पाता। वास्‍तव में सरकार की यह जिम्‍मेदारी होनी चाहिए कि हर जिले में हर क्षेत्र और हर विषय के हर स्‍तर के कॉलेज हों और प्रतिभा के अनुसार उनका अपने जिले के कॉलेजों में ही नाम लिखा जाए , ताकि वे सप्‍ताहांत या माहांत में परिवार से मिलकर अपने सुख दुख शेयर कर सकें। पर  ऐसा नहीं होने से क्‍या हमारे किशोरों को भटकने को बाध्‍य नहीं किया जा रहा ?

हमारी पूरी कॉलोनी में 60 प्रतिशत किराएदार परिवार ऐसे होंगे , जिनके पति नौकरी में तीन तीन वर्षों  में स्‍थानांतरण का दर्द खुद झेलते हुए अपने पढाई लिखाई कर रहे बच्‍चों को कोई तकलीफ नहीं देना चाहते और बोकारो के अच्‍छे विद्यालय में अपने बच्‍चों का नामांकण करवाकर पत्‍नी को बच्‍चों की देखभाल के लिए साथ छोड देते हैं। झारखंड में रांची और जमशेदपुर में भी बहुत मांएं बच्‍चों को अच्‍छे स्‍कूलों में पढाने के लिए अकेले रहने को विवश हैं। जबतक बच्‍चे बारहवीं से नहीं निकलते , पूरा परिवार पर्व त्‍यौहारों में भी मुश्किल से साथ रह पाता है। 

अनियमित रूटीन से पति के स्‍वास्‍थ्‍य पर असर पडता है , पति की अनुपस्थिति में पत्‍नी पर पडी जिम्‍मेदारी भी कम नहीं होती । घर में पापा के न होने से बच्‍चें की उच्‍छृंखलता भी बढती है। वास्‍तव में सरकार की यह जिम्‍मेदारी होनी चाहिए कि अपने कर्मचारियों का जहां स्‍थानांतरण करवाए , वहां उसके बच्‍चों के लिए पढाई की सुविधा हो। इसके अभाव में क्‍या कोई परिवार सही जीवन जी पा रहा है ?

परिवार का एक एक सदस्‍य बिखरा रहे , हर उम्र के हर व्‍यक्ति कष्‍ट में हों तो हमारी समझ में यह नहीं आता कि हम सुखी कैसे हैं ? क्‍या सिर्फ टी वी , फ्रिज , वाशिंग मशीन , कार , ए सी ही सुख का अहसास करा सकते हैं ?

संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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