google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 चार दिनों तक चलती रही हमारी बहस

चार दिनों तक चलती रही हमारी बहस

11 जनवरी को पोस्‍ट किए गए अपने आलेख में मैने इस सप्‍ताह में पृथ्‍वी पर कई भूकम्‍प के झटके और खासकर 13 जनवरी के 5 बजे से 7 बजे सुबह के मध्‍य एक बडी भूकम्‍प आने की भविष्‍यवाणी की थी। अधिकांश पाठकों ने इस लेख में टिप्‍पणी के रूप में जाल माल की क्षति न होने के लिए ईश्‍वर से प्रार्थना की थी।



जी उम्मीद करते हैं की जान माल की कोई हानि न हो।

बाकि तो देखते है क्या होता है।



इसके बाद वंदना जी, रंजू भाटिया, समीरलाल जी, मनोज मिश्रा जी, विनय जी, डॉ रूपचंद्र शास्‍त्री जी, विष्‍णु बैरागी जी, सुरेश शर्मा जी, शिव कुमार मिश्र जी, जाकिर अली रजनीश जी, भारतीय नागरिक जी, और अभिषेक प्रसाद ‘अवि’ जी ने भी इसी आशय के कमेंट किए। हेम पांडेय जी ने ‘हाथ केगन को आरसी क्‍या’ की तर्ज पर कमेंट किया।

hem pandey ने कहा…

२४ से अड़तालीस घंटों में सब स्पष्ट हो जाएगा. यदि भविष्यवाणी सही हुई तो आपकी विद्या पर विश्वास भी बढ़ेगा.



विष्‍णु बैरागी जी ने एक भाषाई गल्‍ती पर मेरा ध्‍यान भी आकृष्‍ट कराया।


'ईश्‍वरेच्‍छा बलीयसि।' कृपया भूकम्‍प को 'उम्‍मीद' तो नहीं कहें। वह तो आशंका है।



पर कुछ पाठकों को महसूस हुआ कि मैने प्रतिदिन होनेवाले भूकम्‍प के झटकों को जबरदस्‍ती ग्रहों के प्रभाव से जोडकर अपने ज्ञान को प्रदर्शित कर रही हूं।

हिमाचली ने कहा…मैंने कल किसी टीवी के टिकर पर पढ़ा था कि कहीं पर भूकंप आया है।और आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि दुनिया में रोज़ कहीं न कहीं भूकंप आता ही है और ये सामान्य भूगर्भीय घटना है..



उनका साथ देने में प्रवीण शाह जी और PD जी भी पीछे नहीं रहें। अभी हर प्रकार की टिप्‍पणी आना रूका भी नहीं था कि बी एस पाबला जी के द्वारा मुझे सूचना मिली कि हैती में भूकम्‍प आ चुका है। PD जी को भी उन्‍होने जबाब दिया।

बी एस पाबला ने कहा…

आपकी पोस्ट पर दी गई संभावनाओं को मेरी पोस्ट पर बताए गए विज्ञान ने समर्थन दिया था

ताज़ा भूकम्प 7.2 की तीव्रता का आया है, आ रहा है, आएगा

अधिक जानकारी व लिंक्स मेरी पोस्ट पर

http://bspabla.blogspot.com/2010/01/blog-post_11.html

PD की टिप्पणी पर यही प्रतिक्रिया है कि

'मुर्गी एक बार में एक अंडा देती है, सारी दुनिया को पता चल जाता है

मछली एक बार में हजारों अंडे देती है, किसी को खबर नहीं होती' J


संगीता जी मौसम और भुकंप के बारे मे आपकी भविश्यबानी हमेशा सही के करीब होती है आज एक बडे भुकम्प की खबर आ रही है शाद हेति मे। धन्यवाद और शुभकामनायें



भूकम्‍प की सूचना से दुखी होने के बावजूद मैने प्रवीण शाह जी से पूछ ही लिया।


प्रवीण शाह जी ,

पर आज 13 जनवरी को हैटी में 7.2 रिक्‍टर वाली एक बडी भूकम्‍प आ गयी .. जान माल की भारी क्षति हुई है .. इसे क्‍या कहेंगे आप .. मात्र संयोग या ग्रहों का प्रभाव ??



मुझसे विचारों की भिन्‍नता होने के बावजूद प्रवीण शाह जी हमेशा विनम्रता से पेश आते रहे है।

प्रवीण शाह ने कहा…

आदरणीय संगीता जी मैं किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से मुक्त होकर आपके गत्यात्मक ज्योतिष को आंकने का क्षुद्र प्रयास मात्र कर रहा हूँ।

भूकंप के समय और तारीख के बारे में आप काफीकुछ सही रहीं पर स्थान के बारे में आपका अनुमान (180-72)= 108 डिग्री हटकर रहा।

न तो मैं इसे मात्र संयोग कहूंगा, न ही ग्रहों का

प्रभाव... कुछ भी कहने से पहले मैं आपकी इस तरह की कुछ और भविष्यवाणियों व उनके परिणाम (सच होने) का इंतजार करना अधिक उचित समझूंगा।



महिलाएं हांडी के एक चावल को पका देखकर सारे चावल के पके होने का अनुमान लगाती है , यदि आप पाठकों की तरह ही देर करें , तो नीचे के चावल अवश्‍य जल जाएंगे, जांच पडताल करने की भी कुछ सीमा होती है। इसलिए मैने कहा।


प्रवीण शाह जी ,यह पहला मौका नहीं है जब आपने मेरी भविष्‍यवाणी को सही होते पाया है .. आपने मेरी क्रिकेट की हर दिन की भविष्‍यवाणी पढी हैं .. और उसपर गौर करके देखा है .. इसके बाद भी और इंतजार करना चाहते हैं .. तो मुझे क्‍या आपत्ति हो सकती है ??



दिनेशराय द्विवेदी जी तो मेरी खामी दिखाने में एक कदम और आगे रहें। जाकिर अली ‘रजनीश’ जी ने भी उनसे सह‍मति जतायी।


आप ने 180 डिग्री लोंजीट्यूड पर या उस से 20 डिग्री विचलन पर भूकंप की भविष्यवाणी की थी। लेकिन यह हेती में आया जो कि 72.20 डिग्री पर मौजूद है। इस तरह आप की भविष्यवाणी बहुत भटक गई। यदि यह 20 डिग्री के भीतर होती तो उस इलाके में लोगों को सावधान किया जा सकता है। लेकिन आप की भविष्यवाणी के हिसाब से तो सारी धरती को सावधान हो जाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए जो संभव ही नहीं है।



शायद बी एस पाबला जी का जबाब उन्‍हीं के लिए था।

बी एस पाबला ने कहा…

गणना में मामूली चूक और बाहरी कारक

कितने ही रॉकेट प्रक्षेपण असफल कर चुकी है,

कितने ही प्रयोग दम तोड़ चुके हैं,

कितने ही मरीज बेहोशी का इंजेक्शन देने के बाद होश में नहीं आ पाए,

कितने ही लोग फांसी चढ़ाए जाने पर रस्सी टूटने पर बच गए

कितने ही लोग ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या से बच गए,

कितने ही किसान मौसम की वैज्ञानिक सूचना के भरोसे बारिश की राह जोहते अपनी फसल गंवा बैठे,

कितने ही तेज धावक पीछे रह गए।

अगली बार और सटीक गणना की उम्मीद, आपसे



पर पाबला जी के जबाब मिलने तक द्विवेदी जी को दिया जाने वाला मेरा जबाब तैयार हो चुका था और वही जबाब उनका साथ देने वाले जाकिर जी के लिए भी था।


दिनेशराय द्विवेदी जी,

टिप्‍प्‍णी के लिए धन्‍यवाद .. इससे थोडा दुख तो अवश्‍य हुआ .. पर अपनी सहन शक्ति के लिए ईश्‍वर को धन्‍यवाद देती हूं .. आपने कोई नई बात नहीं कही है .. मैं इसी बात से परेशान हूं कि इतने वर्षों से इस क्षेत्र में समर्पित होने के बावजूद मेरे ज्ञान से समाज के सारे लोगों का भला नहीं हो पा रहा .. पर इसके लिए ग्रहों के पृथ्‍वी पर पडने वाले प्रभाव के महत्‍व को सबों को स्‍वीकारना होगा .. यदि मैं अपनी गणना से वर्ष के 365 दिनों मे से एक दिन पर आ जाती हूं .. 24 घंटों में से किसी दो घंटों पर आ जाती हूं .. तो स्‍थान की मेरी कमजोरी को भूगर्भ विज्ञान वाले तो हल कर सकते थे .. जिससे कुछ फायदा तो अवश्‍य हो सकता था .. अन्‍य विकसित विज्ञानों से ज्‍योतिष का तालमेल बनाकर कई घटनाएं टाली भी जा सकती थी .. या आने वाले दिनों में मै खुद भी इसे हल कर लूं .. ऐसा आपको शुभकामनाएं देनी चाहिए थी .. पर आपने उस संभावना की चर्चा न कर सीधा कह दिया कि मेरे ज्ञान से समाज का कुछ भी भला नहीं हो सकता .. जबकि प्रतिदिन मेरे ज्ञान से दो चार लोगों का भला हो रहा है.. और मेरा लक्ष्‍य लाखों का भला करना है !!



फिर भी जाकिर अली ‘रजनीश’ जी के नाम भी कुछ लाइनें लिखी ही गयीं।


वाह रजनीश जी,

आजतक आप चिल्‍लाते रहें कि ग्रहों के आधार पर भविष्‍यवाणियां सही हो ही नहीं सकती .. बरसात की तिथियुक्‍त भविष्‍यवाणियों को भी स्‍वीकार करने से आप कतराते रहें .. पर आज जब काटने की कोई जगह नहीं दिखी .. तो आप कह रहे हैं कि ऐसी भविष्‍यवाणियों का क्‍या औचित्‍य है .. दिनेश रॉय द्विवेदी जी के साथ ही रहें .. कोई आपत्ति नहीं मुझे .. पर उनको जो जबाब मैने दिए है .. उसे आप अपना जबाब समझिए !!



भले ही मैने इस पोस्‍ट पर मिली सभी प्रतिक्रियाओं का जबाब दे दिया हो , पर अपनी भविष्‍यवाणी के सटीक होने के बावजूद भी मैंने दुखी होकर इस पोस्‍ट को प्रेषित किया। सबसे पहली टिप्‍पणी गिरिजेश राव जी की मिली।


संगीता जी, हिन्दी ब्लॉगिंग में किसी की निष्ठा से यदि वाकई प्रभावित हुआ हूँ तो वह आप हैं। लेकिन जाने क्यों आप को झुठलाने को मन करता है।

भविष्य की बातें वर्तमान में पता चल जाँय, इसमें आप को कुछ बहुत प्रकृति विरुद्ध और काल विरुद्ध सा नहीं लगता?

आप की भविष्यवाणी का सही होना तुक्का भी तो हो सकता है।

यहाँ देश हजारों वर्षों तक दुर्गति भोगता रहा और कई मायनों में आज भी ऐसा ही है - क्या ज्योतिष के पास इसका कोई उत्तर/समाधान है? वे कौन से पुण्य कर्म हैं जिनके कारण यूरोप, अमेरिका आदि देश सम्पन्न और कहीं अत्युत्तम जीवन क्वॉलिटी से नवाजे गए हैं?

यूरोप ने शोषण के बल पर अपने को सँवारा। दो दो विश्वयुद्धों को झेला, फिर भी आज कितना आगे है!भारत या समूचे दक्षिण एशिया की ऐसी दुर्गति क्यों है? इस बारे में गत्यात्मक ज्योतिष क्या कहता है?बहुत से सवाल मन में आते हैं। आप का यह ज्योतिष और इसके मानने वाले सचमुच बड़ी सोच में डाल देते हैं।क्या करें?



मेरी मानसिक हालत उनके एक गलत शब्‍द ‘तुक्‍का’ को भी बर्दाश्‍त न कर सकने की थी , मैने उन्‍हें दो टूक जबाब सुना दी, जिसका बाद में मुझे अफसोस भी हुआ।


गिरिजेश राव जी .. आप पाठकों की ऐसी बातें सुनने के लिए मैं तैयार रहती हूं .. जो ज्‍योतिष की ए बी सी डी की जानकारी के बिना ही पी एच डी स्‍तर के ज्ञान की तलाश में रहते हें .. तिथि के साथ भूकम्‍प की सूचना के बावजूद इसे तुक्‍का कहने में आपको थोडी भी हिचकिचाहट नहीं हुई .. आप मेरे ब्‍लॉग के नियमित पाठक होते तो शायद ऐसा नहीं कहते .. क्‍यूंकि यह मेरी पहली भविष्‍यवाणी नहीं है .. आप सब ज्‍योतिष विरोधी मिलकर 'भविष्‍यवाणियों का तुक्‍का' नाम का एक ब्‍लॉग चलाएं .. और प्रतिदिन मौसम , राजनीति से लेकर भूकम्‍प तक की तिथियुक्‍त भविष्‍यवाणी करें .. मैं भी तो थोडी सीख लूं .. जब यूं ही काम बन जाए तो इतना अध्‍ययन करने की क्‍या आवश्‍यकता ??


बाप रे! आप तो एक शब्द पर ही नाराज हो गईं। 'तुक्का' की जगह 'संयोग' लिखना था। शायद आप इतनी नाराज नहीं होतीं। आप को कष्ट पहुँचा इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

ज्योतिष की ए.बी.सी.डी. और पी.एच.डी. की तो बात ही नहीं है। आप के लेख पढ़ता अवश्य हूँ लेकिन नियमित नहीं हूँ, इसे स्वीकारता हूँ।

मेरे प्रश्नों को सहज रूप में लें जो कि एक निष्ठावान अध्येता से हैं। अभी भी अनुत्तरित हैं। बहुत बार प्रश्न विधा के क्षेत्र में नहीं आते तब भी पूछने वाले पूछ बैठते हैं। यदि वाकई ये प्रश्न गत्यात्मक ज्योतिष की परिधि से बाहर हैं तो बता दीजिए।

यदि उसकी परिधि में हैं तो बताइए कि क्या कारण हो सकते हैं जो अरबों की जनसंख्या और इतना बड़ा और रिच भूभाग इस दशा में है?



डॉ टी एस दलाल जी के साथ ही साथ कई पाठकों ने मेरी भविष्‍यवाणी का सच होना स्‍वीकारा।


संगीता जी, मैंने आपकी भविष्यवाणी वाली पोस्ट भी पढ़ी थी , और आज की भी।

सच तो यह है की मैं भी इंतज़ार में था की देखें क्या होता है।

लेकिन इसमें कोई शक नहीं की आपकी भविष्यवाणी सही निकली।

हालाँकि ये बड़ा दुखद समाचार है, और आपको मुबारकवाद भी नहीं दे सकते। अब तो यही कह सकते हैं की ज्योतिष इससे बचने का उपाय भी खोज निकाले तो सही मायने में सार्थक कहलायेगा।

Anil Pusadkar ने कहा…

संगीता जी मैं भूविज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं और भूकंप जैसे विषय आज भी जटील ही हैं।इस पर तमाम शोध और अध्ययन के बाद भी बहुत कुछ अंधेरे मे ही है।इसके बावजूद आपकी भविष्यवाणी का खरा उतरना आपके ज्ञान को प्रमाणित करता है और जंहा तक़ मेरा सवाल है मैं आपका पहले से प्रशंसक हूं।मुझे भी लगता है कि अपने जीवन की अनिश्चतता के बारे मे आपसे सलाह लेनी ही पड़ेगी।





'अदा' ने कहा…

संगीता जी,

ये आपदाएं तो आनी हीं थी.... लेकिन आपकी भविष्यवाणी को सुनकर उनके असर से बचा जा सकता है....ठीक वैसे ही जैसे कड़ी धूप में छतरी लगा कर छाया की जा सकती है....

विश्वास तो मुझे हमेशा ही आपकी बातों पर रहा है...आज उस विश्वास में और बढ़ोत्तरी हुई है...ऐसे ही कल्याण किया करें...

Mithilesh dubey ने कहा…

आप जो करती है वह प्रशंसनिय है , अच्छे कामों में अक्सर रुकावटें आती है ।


गिरिजेश राव जी,

मेरे ब्‍लॉग में मानव मस्तिष्‍क में उठने वाले बहुत सारे प्रश्‍नों के उत्‍तर दिए गए हैं .. सारे को पढने के बाद ही उससे आगे बढा जा सकता है .. आपके अन्‍य प्रश्‍नों के जबाब भी धीरे धीरे मिलते चले जाएंगे .. ज्‍योतिष तो बहुत छोटी चीज है .. आपके प्रश्‍न आध्‍यात्‍म के अंदर आते हैं .. आध्‍यात्‍म के ज्ञान की सीमा नहीं .. इतना आसानी से कैसे समझ पाएंगे आप ??

प्रवीण शाह ने कहा…

आदरणीय संगीता जी,

आपकी यह पोस्ट अभी अभी देखी, आज के दिन यह बहुत जरूरी है कि आपकी भविष्यवाणी और उसके परिणाम को एक सही नजरिये से देखा जाये, अत: आपकी पिछली पोस्ट पर की गई टिप्पणी को फिर से एक बार यहां पर दोहरा रहा हूँ।



समीर लाल जी मेरी मानसिक अवस्‍था का अनुमान करने में सफल रहें,विष्‍णु बैरागी जी और आचार्य संजिव ‘सलिल’ जी भी ।

Udan Tashtari ने कहा…

ऐसी गणनाओं और भविष्यवाणियों के बाद आप किस मानसिक अवस्था से गुजरती होंगी, समझा जा सकता है.


यह सचमुच त्रासद विडम्‍बना ही है कि अपनी भविष्‍यवाणी के सच होने पर मन दुखी हो।


आपकी भविष्यवाणी और मनोव्यथा दोनों ही से मेरा सरोकार है. सटीक भविष्यवाणी हेतु आप साधुवाद की पात्र हैं. कोइ चिकित्सक रोगी के भयानक रोग को पहचान ले तो उसे सफल ही माना जाता है.

भविष्यवाणी सटीक हो तो अनुमान करता के ज्ञान और विशी दोनों पर शंका नहीं की जानी चाहिए. भारतीय दर्शन 'विश्वासम फलदायकम' में विश्वास करता है, 'श्रद्धावान लभते ज्ञानं' भी यही सन्देश देता है. पश्चिन का दर्शन संदेहवाद से प्रारंभ होता है...देकार्त कहता है प्रश्न करो...आप की विधि पे भरोसा न करनेवाले संदेहवाद के विद्यार्थी हैं. मैं विश्वास को जीता हूँ.

अब दूअसरे पहलू की बात...मेरे गुरु प्रो. विनय कुमार श्रीवास्तव भूगर्भविद हैं... वे गत कई सालों से भूकम्पों के स्थल का अनुमान लगा परे हैं पर तिथि नहीं बता पाते... भूगर्भ शास्त्री और ज्यतिशी एक साथ अध्ययन करें तो शायद अधिक सटीक पूर्वानुमान हो सके.



प्रवीण शाह जी को मैने समझाया कि किस प्रकार स्‍थान के चुनाव में खामि रह जाती है।


प्रवीण शाह जी,

आप आराम से मेरी अगली भविष्‍यवाणियों का इंतजार करें .. वास्‍तव में हमारे अध्‍ययन के अनुसार भूकम्‍प के तिथि की सूचना जितनी पक्‍की होगी .. उतनी समय और स्‍थान की नहीं भी हो सकती है .. इसे मैने अपने पिछले आलेख में भी स्‍वीकारा है .. क्‍यूंकि पूरे ब्रह्मांड में पृथ्‍वी एक विंदू मात्र होती है .. और गणित ज्‍योतिष का काफी सूक्ष्‍म डाटा हमारे पास नहीं होता .. यदि गणित ज्‍योतिष के कोई विद्वान हमारी मदद करें तो भविष्‍यवाणी के स्‍तर में और बढोत्‍तरी लायी जा सकती है !!


आदरणीय संगीता जी, अब आप मेरे शब्दों को भले ही जिस रूप में लें , लेकिन यह कहूंगा की यदि ज्योतिष शास्त्र किसी आपदा की भविष्य बानी के साथ उसके घटने के स्थान के बारे में जानकारी दे पाने में असमर्थ है तो मैं तो भगवान् से यह प्रार्थना करूंगा कि आइन्दा आपकी इस तरह की कोई भी भविष्य बाणी सही न निकले ! :)


गोदियाल जी .. आपकी बातों का मैं कोई दूसरा अर्थ नहीं लगा रही .. पर मेरी भविष्‍यवाणी के कारण यह भूकम्‍प आया .. ऐसी बात नहीं है .. भूकम्‍प को आना था .. ग्रहों की चाल से मैने उसे पहले समझ लिया .. हो सकता है कि कुछ दिनों के अध्‍ययन के बाद स्‍थान का भी मुझे संकेत मिल जाए .. एक ही दिन में किसी विज्ञान का विकास नहीं हो जाता .. युगों युगों तक सकारात्‍मक रूप से लाखों करोडों लोगों को मदद करनी पडती है इसमें .. पहले इसमें विश्‍वास तो करना होगा .. उसके बाद ही तो दुनिया को आपत्ति से बचाया जा सकता है .. एक व्‍यक्ति से कितनी अपेक्षा कर सकते हैं आपलोग ??

Ashish ने कहा…

संगीता जी

मुझे लगता है इस अर्जित ज्ञान को यदि आप अपने सॉफ्टवेर में समा कर उसे ओपन सौर्स रिलीज़ करें तो आप अपने लक्ष्य को जल्द प्राप्त कर सकेंगी।

निर्झर'नीर ने कहा…

मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामना।जैसे ही भूकंप की जानकारी हुई आपकी याद तजा हो गयी ..आपने सच कहा था अफसोश है जो चले गए



धीरू सिंह जी ने ज्‍योतिष को विज्ञान बताया। पर आपलोगों को यह जानकारी देना चाहूंगी कि हमारा परंपरागत ज्‍योतिष आज के युग तक आते हुए बहुत सारी खामियों का शिकार हो गया है और इससे सटीक भविष्‍यवाणी नहीं की जा सकती। ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिषीय अनुसंधान केन्‍द्र’ द्वारा ग्रहों की गत्‍यात्‍मक और स्‍थैतिक शक्ति की खोज के बाद ही इसे विज्ञान का रूप दिया जा सका है।


ज्योतिष पर विश्वास है मुझे . यह एक सांइस है .लेकिन भारतीय विधा होने के कारण कई पढे लिखे स्वीकार नही करते . अगर विदेशी कोई यह सब कहता तो उसकी प्रंशसा होती . जैसे योग जब से योगा बना तब से स्वीकार्य हो रहा है।






सतीश पंचम ने कहा…






मैं तो ज्योतिष पर बिल्कुल विश्वास नहीं करता, लेकिन किसी सर्वव्यापी ईश्वर पर जरूर कुछ हद तक विश्वास करता हूँ कि उसके चलाये ही यह संसार रच बस रहा है, बन बिगड रहा है....अब वह सर्वोच्च सत्ता मानव जनित कर्म के रूप मैं है या दैवीय या फिर इन दोनों का ही मिश्रण..... नहीं पता।
बस विश्वास है, तभी मंदिर में विभिन्न आकार प्रकार में तराश कर रखे प्रस्तरों में भी ईश्वर को जान नमन कर लेता हूँ.....लेकिन किसी भी ज्योतिष वगैरह पर विश्वास नहीं कर पाता।
शायद अर्ध-कम्यून हूँ मैं।









हालांकि हम ज्योतिष पर विश्वास नहीं करते पर इस बात को थोडा बहुत स्वीकारते हैं कि प्रथ्वी पर ग्रहों नक्षत्रों का प्रभाव पड़ता है.
बचपने से पाठ्य पुस्तकों में एक बात पड़ने को मिली कि समुद्र में आते ज्वार भाटे चाँद सूरज पृथ्वी की स्थिति से आते हैं..................बस यही बहुत है कहने को.

सिद्धार्थ शंकर जी ने इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालने को कहा है , मैने तो पहले ही लिखा है कि एक घडी , कैलेण्‍डर , टार्च की तरह ही ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ आपके लिए उपयोगी हो सकता है।


भविष्य देखना भी जी का जंजाल है। यदि सबकुछ पूर्व निर्धारित और अपरिहार्य ही है तो उसके बारे में पहले से जानकर हम अपना मस्तिष्क कुछ पहले से ही दुखी कर ले रहे हैं।

यह ज्ञान हमारे लिए कितना लाभकर है इसपर भी प्रकाश डाला जाय।


सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी .. क्‍या भवितब्‍यता टाली जा सकती है .. इसकी दस कडियां लिख चुकी हूं .. इसमें इस बात पर प्रकाश डाला जा चुका है!!



जी के अवधिया जी के द्वारा पूछे गये छोटे से प्रश्‍न को भी मैं बर्दाश्‍त नहीं कर सकी।


संगीता जी,

बस एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि आपकी भविष्यवाणी से क्या लाभ हुआ?


जी के अवधिया जी .. आप इस प्रकार के प्रश्‍न कर मुझे और व्‍यथित करने की कोशिश कर रहे हैं अब कोई मरीज डॉक्‍टर पर विश्‍वास ही न करे .. तो डॉक्‍टर क्‍या कर सकता है .. वैज्ञानिक यदि हमारी मदद लें तो अवश्‍य मेरे अनुभव का फायदा दुनिया को मिल सकता है।


संगीता जी ,

हेती की घटना का समाचार सुनकर अत्यंत दुःख हुआ ।

ज्योतिष शास्त्र भविष्य की गर्त मैं झाकने की एक विधा है । भविष्य आने वाली परेशानियों और प्राकृतिक आपदा को रोका तो नहीं जा सकता है, हाँ पर इनसे बचाव हेतु समय पूर्व आवश्यक कदम और सुरक्षात्मक उपाय तो किये जा सकते हैं जिससे जनहानि और धनहानि को कम तो किया जा सकता है ।

ज्योतिष विज्ञानं के माध्यम से सटीक और सही जानकारी प्राप्त कर उसका समाज हित और जनहित मैं प्रयोग हो यही कामना है ।


संगीता जी,

यदि आप समझती हैं कि मैं आपको व्यथित करने की कोशिश कर रहा हूँ तो आप बिल्कुल गलत समझ रही हैं, न तो मेरी कोई ऐसी मंशा थी, न है और न ही रहेगी। आपको व्यथित करके भला मेरा क्या लाभ होगा?

मैं तो सिर्फ यही कहना चाहता हूँ कि ज्ञान है तो उसका लाभ भी मिलना चाहिये। ऐसे ज्ञान का क्या फायदा जिससे लाभ तो मिले ही नहीं उलटे तनाव मिले?

मैं तो सीधे प्रश्न का सीधा सा उत्तर चाहता हूँ। सीधा सा प्रश्न था मेरा जिसका किसी डॉक्टर और मरीज से किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं था।

अभी तक तो विज्ञान ज्योतिष को मानता नहीं है तो वैज्ञानिक आपसे क्यों मदद लेने आयेंगे? हाँ यदि आप ज्योतिष की एक सशक्त पहचान बना दें तो आपसे मदद माँगने वाले स्वयं ही आ जायेंगे।


आप मेरी भावनाओं को नहीं समझ पा रहे हैं .. सब कुछ जानते हुए कितनी अकेली पड जाती हूं मैं .. यही बात आपको समझाना चाह रही थी .. डेढ वर्ष हो गए ब्‍लॉग जगत में ही .. ज्‍योतिष को पहचान दिलाने के लिए कितनी बार हर तरह की तिथियुक्‍त भविष्‍यवाणियां की हैं .. पर न तो मेरी वाहवाही करने से दुनिया का भला हो सकता है .. और न मेरी शिकायत करने से ही .. भला तो मात्र 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' को पहचान दिलाने से हो सकता है .. जो लाख कोशिश के बाद भी नहीं बन पा रहा है !!

Vineet Tomar ने कहा…

संगीताजी, आपकी कहन में दम हे और अगर आपके पास इसका ज्ञान हे तो बहुत अच्छा,आप इसी तरह लेख लिखे ,और समाज को अवगत कराते रहें,जिसको आपकी लेखनी में जरा भी विश्वाश होगा वो आपको जरुर पढेगा ,इसके लिए आप परेशान न हों,क्यूँकी जिनको विरोध करना या आपको गलत बताना हें तो बताना हें इस में कोइ कुछ नहीं कर सकता. आप बस इतना करे अगर ठीक लगे तो के अपनी बात स्पस्ट न लिख केर थोड़ा गुमा केर लिख दे तो शायद समझदार , समझ जाएगा और किसी को कहने को समय लगेगा. में आपके लेख रोज पढता हूँ क्यूँकी मेरी ईमेल पर आ जाते हें.इसी तरह जो भी पढेगा वो देखेगा . अगर कुछ गलत लगा हो तो उस के लिए आप मुझे माफ़ कर दे,. में आपका आभारी हूँ आप अच्छा लिखती हे इसलिए. धन्यवाद
.

राजीव जी ने मेरी टिप्‍पणी को ध्‍यान से पढा और बडा अच्‍छा प्रश्‍न किया है। उनके प्रश्‍न का जबाब मैं अगले किसी आलेख में दूंगी।

ई-गुरु राजीव ने कहा…[ पर न तो मेरी वाहवाही करने से दुनिया का भला हो सकता है .. और न मेरी शिकायत करने से ही .. भला तो मात्र 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' को पहचान दिलाने से हो सकता है .. जो लाख कोशिश के बाद भी नहीं बन पा रहा है !! ]

इस वाक्यों का क्या अर्थ है !!

संगीता जी, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ?

मेरा मतलब है कि एक हिन्दू या भारतीय या ज्योतिष-प्रेमी या आपका प्रशंसक होने के नाते आपके लिए (ज्योतिष के लिए) हम पाठक-गणों को क्या करनाचाहिए.



पाठकों ने यह भी कहा कि मेरी भविष्‍यवाणी के कारण भूकम्‍प नहीं आया, भविष्‍यवाणी सही होने पर ग्रहों के प्रभाव की पुष्टि हुई है।


किसी का भी आपको या ज्योतिष को दोष देना अनुचित है.

यह तो ग्रहों की स्थिति के कारण से ऐसा हुआ.

अतः, आपका या किसी का ऐसा सोचना कि काश यह भविष्यवाणी सच नहीं हुई होती, ठीक नहीं है.

प्रत्येक भविष्यवाणी सत्य होनी ही चाहिए इससे ही ज्योतिषी और ज्योतिष का सम्मान बढेगा.

पुनः आपको आपकी भविष्यवाणी के लिए नमन करता हूँ.

कमल शर्मा ने कहा…

आपने लिखा कि काश मेरी भविष्‍यवाणी सही नहीं हुई होती...लेकिन जो तय है उसे कौन टाल सकता है। होनी तो होकर ही रहेगी...कुछ ऐसे परिणामों के लिए मनुष्‍य भी जिम्‍मेदार है जिसने पूरी प्रकृति के साथ खिलावड़ किया है और कर रहे हैं। वैसे भी जो बना है उसका विनाश भी तय है। हम इस विनाश पर आंसू भरी श्रंद्धाजलि के अलावा कुछ नहीं दे सकते।



एक बेनामी ने बिल्‍कुल अलग तरह की टिप्‍पणी की है।

खुला सांड ने कहा…संगीताजी !!! आप के गृह अच्छे नहीं लग रहे !!! कहीं वैज्ञानिक लोग आपका अपहरण ना कर लें!! पहले ही आपकी एक भविष्य वाणी सच हो चुकी है!!! आप हीट लिस्ट में हैं!!!



उन्‍हें मालूम नहीं कि वैज्ञानिकों को जिस दिन ग्रहों के प्रभाव के बारे में जानकारी हो जाएगी , वो आराम से हमारे साथ काम करेंगे, हमारा अपहरण करने की क्‍या आवश्‍यकता ??

संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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