आप इतना सकारात्‍मक सोंच भी न रखें कि जरूरी बातें अनदेखी हो जाए !!

प्रकृति की कोई भी वस्‍तु और व्‍यक्ति अपने आपमें संपूर्ण नहीं होती , सबमें कुछ गुण होते हैं तो अवगुण। कुछ व्‍यक्ति उनके गुणों के साथ ही साथ अवगुणों से भी लाभ उठाने की कोशिश करते हैं , यदि अवगुणों से कोई लाभ न उठा सकें , तो उसे अनदेखा करने की कोशिश अवश्‍य करते हैं। यह उनके अच्‍छे दृष्टिकोण का परिचायक है और इससे उनके व्‍यक्तित्‍व में भी सकारात्‍मक प्रभाव पडता है। 

इसके विपरीत, कुछ व्‍यक्ति उनके गुणों का तो उपयोग कर लेते हैं , पर उसकी प्रशंसा न करते हुए अधिकांशत:  उनकी खामियों की चर्चा करते हैं। यह उनके गलत दृष्टिकोण का परिचायक है और इससे उनके व्‍यक्तित्‍व में भी ऋणात्‍मक प्रभाव पडता है। इस प्रकार हमारे व्‍यक्तित्‍व को प्रभावित करने में हमारी सोंच की बडी भूमिका होती है। पर इस दुनिया में बहुत ही कम व्‍यक्ति ऐसी सोंच वाले होते हैं , जो आधे गिलास पानी को भरा कहना चाहें , अधिकांश के लिए आधा गिलास खाली गिलास ही होता है।

कोई भी व्‍यक्ति अपने जीवन पर गौर करें , तो उसके सारे पहलू एक से नहीं दिखाई देंगे। कुछ बहुत ही संतोषजनक होगा , तो कुछ को देखकर आपको निराशा अवश्‍य होती होगी। निराशा भरे पहलूओं की अनदेखी कर और अच्‍छे पहलूओं को देखने से हमारा आत्‍मविश्‍वास बढता है। पर यदि आज आपके जीवन के सारे पहलू सुखद भी हैं तो पूरे जीवन इसके ऐसे ही बने रहने के भ्रम में न रहें। यहां सकारात्‍मक सोंच की कमी आपको हर पक्ष के प्रति सतर्क बना सकती है।  

इतने लंबे जीवन में हमारा हर दिन एक जैसा नहीं रहता है। कभी खुशियां तो कभी गम .. जीवन में सबकुछ झेलने को हम बाध्‍य होते ही हैं। जहां पुरानी उपलब्धियों को याद करके हमारा तन मन सुखी हो जाता है , वहीं अपनी पुरानी असफलता हमें कुंठित भी बना देती है। पर अधिकांश लोगों को अपने जीवन की उपलब्धियां याद नहीं रहती , वे असफलता को लेकर परेशान होते हैं। यहां सकारात्‍मक सोंच रखें , इसका आत्‍मविश्‍वास पर अच्‍छा प्रभाव पडता है।

किसी के जीवनभर को ध्‍यान से देखा जाए , तो हमें पता चलेगा कि सुख और दुख जीवन के अभिन्‍न अंग हैं। पूरे जीवन में बहुत जगहों पर ऐसा समय आता है , जब हमारे सम्‍मुख आगे बढने का रास्‍ता ही समाप्‍त दिखता है। वैसी स्थिति में बडा तनाव होता है , पर जहां ऐसी स्थिति आती है , वहीं से हमारे सामने एक नहीं , कई नए रास्‍ते दिखते हैं । उन नए रास्‍तों में से एक का चुनाव करना, साथ ही उस नए रास्‍ते में चलने में काफी दिक्‍कतें तो आती हैं , अनिश्चितता भरे वातावरण में संदेह भी स्‍वाभाविक है। 

पर कुछ ही दिनों में अधिकांश लोगों के लिए यह नया रास्‍ता सफलता के नए सोपानों को तय करने में मदद करता है। इसलिए यहां भी हमारी सकारात्‍मक सोंच मायने रखती है। संक्षेप में हम यही कह सकते हैं कि जिस परिस्थिति में या जिस मामले में आप जीने को विवश हैं , वहां अपने सकारात्‍मक सोंच से माहौल को अच्‍छा बनाएं , पर अपने कर्तब्‍यों के पालन में आप इतना सकारात्‍मक सोंच भी न रखें कि जरूरी बातें अनदेखी हो जाए।

संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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