google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 अंतहीन कष्‍टों का जीवन झेलने का मजबूर एक दंपत्ति

अंतहीन कष्‍टों का जीवन झेलने का मजबूर एक दंपत्ति

पिछले दिनों अपनी एक पोस्‍ट में मैने बताया था कि लेखक का नजरिया ही किसी कहानी को सुखात्‍मक या दुखात्‍मक बनाता है। जीवन के सुखभरे समय में जब कहानी का अंत कर दिया जाता है , तो उसे सुखात्‍मक और जीवन के दुखभरे समय में कहानी का अंत कर दिया जाता है , तो नो दुखात्‍मक बनता है। 

पर जीवन में कभी कभी किसी के जीवन का अंतिम समय अंतहीन कष्‍टों का बन जाता है , उसे सुखात्‍मक बनाया ही नहीं जा सकता। इसी सिलसिले में मैने इस पोस्‍ट में मैने उस महिला की चर्चा की थी , जिसे अपने जीवन में सर्वाधिक कष्‍टप्रद जीवन झेलते देखा है । मैने जिनलोगों के जीवन को निकट से देखा है , उसमें दूसरे नंबर पर एक दंपत्ति को रखा जा सकता है।

उक्‍त दंपत्ति भी गांव के ही सही , पर अच्‍छे गृहस्‍थ परिवार के थे , उनके दो बेटे और तीन बेटियां थी। दोनों में से किसी को कोई बुरी आदत नहीं थी, पर किसी न किसी बीमारी या कुछ अन्‍य खर्च की वजह से धीरे धीरे सारे जमीन बिकते चले गए और जबतक बच्‍चे बडे हुए , वे लोग काफी गरीबी का जीवन गुजार रहे थे। गांव में रहते हुए लडकियों को मिडिल पास ही करवाया था , पर दोनो काफी सुंदर थी।

 सरकारी नौकरी कर रहे एक स्‍मार्ट लडके को उनकी बडी बेटी पसंद आ गयी। बिना दहेज के लडके ने अपनी ओर से पूरा खर्च और व्‍यवस्‍था करते हुए उससे ब्‍याह रचाया ही , दो चार वर्षों बाद एक संभ्रांत परिवार के अन्‍य लडके को ढूंढकर अपनी साली की शादी करवा दी। वह अपने ससुरालवालों को हर संभव मदद भी किया करता था। उसके बाद उनका जीवन कुछ राहत भरा हो गया।

दोनो बेटियों के तीन तीन बच्‍चे हुए , पर बेटियों के रंग रूप की तरह उनका भाग्‍य सुंदर न रहा। राजी खुशी कुछ दिन ही वे खुशी से रह पाए होंगे कि छोटे छोटे तीन बच्‍चों को छोडकर बडे दामाद चल बसे। बडी बेटी पर मुसीबत का पहाड टूट पडा , बेटी के ससुराल वाले बहू के नौकरी के पक्ष में नहीं थे , क्‍यूंकि वह उतनी पढी लिखी नहीं थी। 

उसे कंपनी में पति के जगह पर चपरासी की ही नौकरी मिल सकती थी , जो उनकी प्रतिष्‍ठा का प्रश्‍न बन रहा था। ससुरालवालों के दबाब में नौकरी दमाद के छोटे भाई को दे दी गयी। धीरे धीरे इस कष्‍ट से उन्‍होने समझौता किया और नाति नातिनों और अन्‍य बच्‍चों से भरे पूरे घर को देखकर ही खुश होते रहे। छोटे दामाद की आर्थिक स्थिति उतनी अच्‍छी न थी , इसलिए छोटी बेटी की ओर से भी चिंता बनी ही रही।

पर धीरे धीरे समय आराम से व्‍यतीत होता गया और शहर में रह रहे सभी नाती नातिने पढलिखकर अच्‍छे अच्‍छे जगहों पर पहुंच गए। छोटी बेटी का विवाह भी किसी तरह मिलजुलकर कर ही दिया गया , इस तरह उनका अपना सारा कष्‍ट जाता रहा। इन तीनो बेटियों के अलावे उनके दो बेटे थे , जिसमें से एक अपाहिज था , इसलिए उन्‍हें उससे कोई उम्‍मीद तो थी नहीं। एक बडे बेटे के सहारे जिंदगी की बाकी गाडी खींचने को वे तैयार थे। 

असुविधाओं के मध्‍य बेटा अच्‍छी तरह पढाई तो नहीं कर सका था, कोई व्‍यवसाय शुरू करने के लिए पूंजी का भी अभाव था , इसलिए उसे एक सेठ के यहां काम करने को भेज दिया गया। बचपन से अपनी स्थिति को कमजोर देख रहा बेटा बहुत ही महत्‍वाकांक्षी होता जा रहा था। इसलिए उसने सेठ के यहां बहुत मन लगाकर पूरी जबाबदेही से काम करना शुरू किया , जिसके कारण शीघ्र ही वह अपने मालिक का प्‍यारा बन गया।

मालिक करोडपति थे , अच्‍छा खासा फर्म था उनका , बेटे को हर तरह की सुविधा दी गयी थी। उसके स्‍थायित्‍व और व्‍यवहार को देखते हुए उसका विवाह भी हो गया और एक बिटिया रानी ने जन्‍म भी ले लिया। जीवन भर के कष्‍ट के बाद उक्‍त दंपत्ति के जीवन की गाडी एक बार‍ फिर सही दिशा में मुड गयी थी , जिसे देखकर वे लोग कुछ शांति का अनुभव कर रहे थे , पर विधाता को कुछ और ही मंजूर था। बिटिया रानी एक वर्ष की भी नहीं होगी कि एक रात दुकान से घर लौटते वक्‍त किसी के द्वारा अपने मालिक पर चलायी गयी गोली का शिकार वह बन गया था और तत्‍काल घटनास्‍थल पर ही उसने दम तोड दिया था। 

भले ही अपनी जान देकर मालिक को बचाकर उसने नमक की कीमत चुका दी हो , पर माता के दूध की कीमत न चुका सका था। उसके माता पिता एक बार फिर अपनी विधवा बहू और अनाथ पोती को अपने अंतहीन आंसुओं के साथ संभालने को मजबूर थे। जहां छोटी मोटी समस्‍या में हम सब इतने परेशान हो जाते हैं , उन्‍होने जीवनभर इतनी तकलीफ कैसे झेली होगी और आगे भी झेलने को बाध्‍य हैं !!

--
संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

Please Select Embedded Mode For Blogger Comments

और नया पुराने