google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 हमारी प्रार्थना का वास्‍तविक स्‍वरूप क्‍या हो ??

हमारी प्रार्थना का वास्‍तविक स्‍वरूप क्‍या हो ??

जब भी हमें किसी ऐसे वस्‍तु की आवश्‍यकता होती है , जिसे हम खुद नहीं प्राप्‍त कर सकते , तो इसके लिए समर्थ व्‍यक्ति से निवेदन करते हैं। निवेदन किए जाते वक्‍त हमें अपने मन का अहंकार समाप्‍त करना पडता है । यदि हम ऐसा न करें और अपने अहंकार में बने रहें तो हमारा निवेदन स्‍वीकार्य नहीं हो सकता। इस समय हम अपनी कमजोरी को स्‍वीकार करने के साथ ही साथ सामने वाले की महत्‍ता को भी स्‍वीकार करते हैं , मन की यही निर्मलता हमें कुछ प्राप्‍त करने के लायक बनाती है। इतने बडे जीवन में हर कोई किसी न किसी स्‍थान पर एक दूसरे से महान होता है और एक दूसरे की मदद करते हुए दुनिया को आगे बढाने में समर्थ होता है। विनम्रता का अभाव और अहंकार की कमी होने से हम आगे बढने में कामयाब नहीं हो सकते हैं।

कभी कभी हमारे सामने ऐसी समस्‍याएं आ जाती है , जिसे हम न तो खुद और न ही दूसरों से हल करवा पाते हैं , उस समय एक सर्वशक्तिमान की याद अवश्‍य आ जाती है , जिसके सामने हम प्रार्थना करने लगते हैं। इस सर्वशक्तिमान का स्‍वरूप भिन्‍न भिन्‍न दृष्टिकोण वालों का भिन्‍न भिन्‍न होता है। ऐसा माना जाता है कि प्रार्थना में अद्भुत शक्ति होती है और इसके जरिए हम प्रभु या प्रकृति से संबंध बना लेते हैं। जहां धार्मिक और आध्‍यात्मिक रूचि रखने वाले व्‍यक्ति प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं , वहीं सांसारिक या व्‍यस्‍त रहने वाले व्‍यक्ति‍ विपत्ति के उपस्थित होने पर अवश्‍य ईश्‍वर की प्रार्थना किया करते हैं। अधिकांश जगहों पर विपत्ति आते ही नास्तिकों को भी ईश्‍वर याद आ जाते हैं। प्रत्‍येक व्‍यक्ति के समक्ष ईश्‍वर का अलग अलग रूप होता है , पर प्रार्थना के सफल होने के लिए ईश्‍वर के प्रति समर्पित होने के साथ साथ अपने अहंकार का त्‍याग और मन की निश्‍छलता की आवश्‍यकता होती है। 

भले ही पूजा करने के वक्‍त हमारा स्‍नान करना , साफ सुथरा वस्‍त्र पहनना आवश्‍यक है , प्रार्थना करते वक्‍त ऐसा नहीं होता , इस समय मन का निर्मल रहना ही अधिक आवश्‍यक है। जीवन में हमारे समक्ष जो भी परिस्थितियां उत्‍पन्‍न होती हैं , वे प्रकृति के द्वारा निश्चित होती हैं। पर हम उन परिस्थितियों से लडते हुए अपने कर्म के द्वारा जीवन में आगे बढते जाते हैं। कभी कभी अचानक उपस्थित कोई विपत्ति हमें बहुत भारी लगने लगती है और उस विपत्ति को तुरंत दूर करने के लिए हम प्रार्थना करते हैं। कभी कभी हमारी प्रार्थना से समय से पहले विपत्ति दूर हो जाती है , तो उसके बदले हमें अपना कोई सुख भी छोडना पड सकता है, क्‍यूंकि प्रकृति में हमेशा किसी लेने के बदले देने का नियम होता है। भले ही इसे सामान्‍य ढंग से समझ पाना कठिन हो। इसलिए हमें उस विपत्ति को सहने की शक्ति को बढाने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। इसके अलावे अधिकांश समय लोग सांसारिक सुख के लिए ही प्रार्थना करते हैं,यह भी बिल्‍कुल गलत है।

निर्मल मन से  अहंकार को त्‍याग देने के बाद की गयी प्रार्थना से हमारे मन की मुराद अवश्‍य  पूरी होती है , पर कभी कभी इसमें बडी गडबडी आती है। बाबर और हूमायूं की कहानी आपने सुनी होगी। हुमायूं जब मृत्युशय्या पर पड़ा था, बाबर ने उसकी तीन बार परिक्रमा की और अल्लाह से प्रार्थना की के वह हुमायूं की ज़िन्दगी बख्स दे चाहे बदले में उसकी ज़िन्दगी ले ले। फिर ऐसा ही हुआ, हुमायूं तो ठीक हो गया लेकिन बाबर शीघ्र ही बीमार हो कर चल बसा। इसलिए किसी मनोकामना के पूरी होने के लिए प्रार्थना करते वक्‍त कभी भी उसके बदले में कुछ ले लेने की बात मुंह से न निकाले। यह समझते हुए कि अभी आयी समस्‍या के अतिरिक्‍त अन्‍य बातों का कोई महत्‍व नहीं , लोग अक्‍सर भावावेश में कह बैठते हैं ' मेरा यह काम कर दो , चाहे बदले में कुछ भी ले लो' ऐसे में कभी कभी उस सफलता की बडी कीमत चुकानी पडती है। इसलिए प्रार्थना करते वक्‍त सांसारिक सुख और सफलता न मांगते हुए मानसिक सुख और शांति की इच्‍छा रखनी चाहिए। 

संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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