मैने जब से ब्लॉग लिखना शुरू किया है , हर चर्चित मुद्दे पर , चाहे वो मौसम हो या राजनीति , खेल हो या कोई बीमारी , कुछ न कुछ भविष्यवाणियां करती आ रही हूं । आकलन में कितनी सत्यता होती है , वो तो हमारे पाठक ही बता सकते हैं , पर मैं तुक्का नहीं लगाती , एक निश्चित आधार होने पर ही भविष्यवाणियां करती हूं। यदि ऐसा नहीं होता तो विश्वकप फुटबॉल के बारे में मैं भविष्यवाणियां कर चुकी होती। अनिश्चितता के माहौल में इस प्रकार के आकलन का कुछ तो महत्व है ही , शायद यही कारण हो कि कल के पोस्ट पर शिक्षामित्र ने टिप्पणी कर पूछा कि क्या आप विश्वकप फुटबाल के बारे में कोई भविष्यवाणी करना चाहेंगी?
पहले भी कुछ पाठकों के मेल आने पर मैने विश्वकप फुटबॉल के बारे में जानकारी के लिए गणना करनी शुरू की थी। पर उस गणना से कुछ साफ तस्वीर नजर नहीं आ सकी और इसलिए मैने इसके बारे में कुछ भी नहीं लिखा। लेकिन मेरी या अन्य ज्योतिषियों की कमी ऑक्टोपस ने कर दी और अपनी सटीक हो रही भविष्यवाणियों के कारण वह दुनियाभर का हीरो बना हुआ है। जहां ज्योतिष के इतने सारे तथ्यों को ध्यान में रखते हुए एक एक भविष्यवाणियां करने में इतनी मुश्किलें आती है , खेलते कूदते ऑक्टोपस बाबा एक डब्बे पर बैठकर आसानी से भविष्यवाणी कर रहे हैं।
इस घटना को सुनने के बाद मेरा ध्यान बहुत पुरानी कुछ घटनाओं पर गया, जहां किसी दुविधा की स्थिति में हाथ की दो उंगलियों में दो परिणामों को रखते हुए उन्हें आगे कर किसी बच्चे को उनमें से एक पकडने को कहा जाता था। मान्यता है कि बच्चे दिल के सच्चे होते हैं , इस कारण वे जो भी उंगली पकडेंगे , आनेवाला निर्णय वास्तव में वैसा ही आएगा। यह संयोग ही है कि अधिकांश समय बच्चे के द्वारा पकडी गयी उंगली वाला परिणाम ही देखने को मिलता था। जिस बच्चे के द्वारा पकडी गयी उंगली का अनुमान अधिक सही होगा , परिवार य समाज में उसे भाग्यशाली माना जाएगा ही। आखिर ईश्वर की विशेष कृपा होने से ही तो वह सही उंगली को पकड पाता था।
एक बार मेरे छोटे बेटे की तबियत बहुत गडबड थी , अस्पताल में मेरे बेटे का इलाज चल रहा था और मैं मायके में थी। मेरा भतीजा तब बहुत छोटा था , लेकिन उसकी मम्मी ने कहा कि उसकी ओर दो उंगलियां बढाएं , वह बिल्कुल सही उंगली पकडेगा। मैं इन सब बातों को नहीं मानती हूं , ग्रहों के हिसाब से मैने जो गणना की थी , उसके हिसाब से 18 तारीख तक का डेट सेंसिटीव था , कोई बुरी खबर भी मिल सकती थी , पर यदि जांच पडताल के क्रम में ही वो डेट टल जाए , तो स्थिति बिगडने वाली नहीं होगी। पर 19 तारीख में दस दिन की देर थी , इसलिए सबका मन घबडाया हुआ था। बच्चे की मम्मी ने ही अपने हाथ की दोनो उंगलियां उसकी ओर बढाया , जिसमें से उसने एक को पकडा। उसने बहुत खुश होते हुए मुझे बताया कि बेटा दवा से ही ठीक हो जाएगा , ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं पडेगी। दस दिनों तक चेकअप चलता रहा और कई डॉक्टरों ने संयुक्त रूप से मिलकर फैसला किया कि ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं है , दवा से ही ठीक हो जाएगा। आप सबों को जानकर ताज्जुब होगा कि यह परिणाम 19 तारीख को आया।
दो ऑप्शनों में से एक को चुनने के बाद उसका सही होने का सबसे बडा कारण लोगों का विश्वास होता है। प्रकृति के नियमों को समझना सरल नहीं , पर किसी बात पर आप पूरा विश्वास रखो , तो उस घटना के सही होने के चांसेज बढ जाते हैं। यही कारण है कि किसी के जीवन में एक बार सफलता की शुरूआत होती है , तो आत्मविश्वास बढता है और उसके साथ ही साथ सफलताओं का इतिहास बनता जाता है। इसके विपरीत यदि किसी के जीवन में असफलता की शुरूआत होती है , तो आत्मविश्वास घटता है और वह कई असफलताओं को जन्म देता है। आत्मविश्वास के कारण ही कभी कभी मनुष्य में एक छठी इंद्रिय भी काम करती है और आनेवाली घटनाओं को वह पहले से देखने लगता है।
मेरे ख्याल से ऑक्टोपस के द्वारा इस प्रकार की भविष्यवाणियों के सटीक होने में एक ओर उसके और उसके मालिकों के भाग्य का खेल है , तो दूसरी ओर लोगों का विश्वास भी काम कर रहा है।लेकिन इस प्रकार संकेत में प्राप्त की गयी भविष्यवाणियों का कोई आधार नहीं होता , भाग्य के साथ देने से कभी लगातार भी कई भविष्यवाणियां सही हो सकती है , जबकि भाग्य न साथ दे तो एक भी सही न हो। वास्तव में इस प्रकार की भविष्यवाणियां एक प्रकार का तुक्का है , इसलिए इसके बारे में दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता। अल्पावधि भविष्यवाणियों के मामलों में इस प्रकार की घटना कितनी भी लोकलुभावन क्यूं न हों , पर दीर्घावधि भविष्यवाणियों के लिए इनका कोई महत्व नहीं , क्यूंकि किसी का भाग्य हर वक्त तो साथ नहीं दे सकता। वैसे जो भी हो , जिन भविष्यवाणियों को करने के लिए हमें गणनाओं का ओर छोर भी न मिल रहा हो , उसे आसानी से बता देने के लिए ऑक्टोपस और उनके मालिक को बधाई तो दी ही जा सकती है।