google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 सभी ग्रहों का दशा काल यानि ग्रहों का प्रभावी वर्ष .....

सभी ग्रहों का दशा काल यानि ग्रहों का प्रभावी वर्ष .....

अबतक की प्रचलित दशा पद्धति , चाहे कितनी भी लोकप्रिय क्‍यूं न हो , लेकिन अबतक ज्‍योतिषियों के सरदर्द का सबसे बडा कारण दशाकाल का निर्णय यानि ग्रहों के प्रभावी वर्ष का निर्णय ही रहा है। भले ही उसकी गणना का आधार स्‍थूल नक्षत्र प्रणाली ही हो। यदि इस तरह की बात न होती , तो शनि महादशा और इसकी ही अंतर्दशा के अंतर्गत शत प्रतिशत ज्‍योतिषियो की आशा के विपरीत 1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी पुन: प्रधानमंत्री का पद सुशोभित नहीं करती। इस लेख का उद्देश्‍य पुराने विंशोत्‍तरी या अन्‍य दशा पद्धतियों की आलोचना नहीं , लेकिन इतना निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि एक निश्चित उद्देश्‍य के लिए जब एक नियम पूर्णत: काम नहीं करते , तो उस नियम के पूरक के रूप में दूसरे , तीसरे चौथे .... अनेक नियम बनते चले जाते हैं या बनते चले जाने चाहिए। अभी भी सामान्‍य या उच्‍च कोटि के जितने भी ज्‍योतिषी हैं , चाहे वो जिस दशा पद्धति के अनुयायी हों , अपने तथ्‍य की पुष्टि अन्‍तत: लग्‍न सापेक्ष गोचर प्रणाली (यानि आज के आसमान की स्थिति को देखकर ) से करते हैं।

दशा काल निर्णय के संदर्भ में इस लग्‍न सापेक्ष गोचर प्रणाली को भी अमोघ शस्‍त्र के रूप में स्‍वीकार करने में दिक्‍कतें आती हैं , जैसे एक ग्रह गोचर में अनेक बार अच्‍छे र‍ाशि और भाव में आता है , पर एक राशि और भाव में रहने के बावजूद हर बार मात्रा या गुण के ख्‍याल से समान नहीं होता। जैसे किसी व्‍यक्ति का लग्‍न और राशि मेष हो , तो गोचर काल में जब जब वृष राशि में बलवान चद्रमा आएगा , नियमत: जातक को मात्रा और गुण के संदर्भ में द्वितीय भाव से संबंधित तत्‍वों अर्थात् धन , कोष कुटुम्‍ब आदि के संदर्भ में सुख की अनुभूति होगी। पर जीवन के विस्‍तृत अंतराल में फलित एक जैसा नही होता है।

'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' की मान्‍यता है कि फलित में यह परिवर्तन ग्रहों की अवस्‍था के अनुसार मनुष्‍य की अवस्‍था पर पडनेवाला प्रभाव है। हम सभी जानते हैं कि लडकपन भोलेपन की जिंदगी होती है। परंतु लडकपन में भोलेपन का कारण किसी भी दशापद्धति के अनुसार दशा और महादशा के हिसाब से भोले ग्रहों का काल नहीं होता। इसी प्रकार विश्‍व के सभी व्‍यक्ति किशोरावस्‍था में ही ज्ञानार्जन करते हैं , चाहे विद्या जिस प्रकार की भी हो , पर दशाकाल के हिसाब से सबकी जन्‍मकुंडली में विद्यार्जन करानेवाले ग्रहों का ही काल नहीं होता है। एक विशेष उम्र में ही लडके और लडकियों में परस्‍पर आकर्षण होता है , वे नियिचत उम्र में ही प्रणय सूत्र में बंधते हैं। दशा अंतर्दशा के हिसाब से कोई औरत वृद्धावस्‍था में प्रजनन नहीं कर पाती है। शारीरिक शक्ति के ह्रास के साथ वृद्धावस्‍था में सभी स्‍त्री पुरूष नीति आचरण की संहिता बन जाते हैं। दशा अंतर्दशा की प्रतिक्षा किए वगैर उपर्युक्‍त घटनाएं स्‍वाभाविक ढंग से प्रत्‍येक व्‍यक्ति के जीवन में घटती रहती है।

इसका अर्थ यह है कि बचपन में भोलेपन के ग्रह यानि चंद्रमा का प्रभाव पडना चाहिए। कुंभ लग्‍न की उन कुंडलियों में , जिसमें चंद्रमा कमजोर हो , बच्‍चे 12 वर्ष की उम्र तक बहुत बीमार होते हैं और शरीर से कमजोर रहते हैं। उनका जन्‍म किस नक्षत्र में हुआ , यह मायने नहीं रखता। इसके विपरीत कर्क लग्‍न के चंद्रबली बच्‍चे शरीर से निरोग रहते हुए अपने बाल साथियों के नेता रहते हैं। वृश्चिक लग्‍न के जातकों में बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति देखने को मिलती है। कमजोर चंद्र के कारण बालपन में कोई समस्‍या चल रही हो , तो 12 वर्ष की उम्र के पश्‍चात् वे समाप्‍त हो जाती हैं। परंपरागत ज्‍योतिष में चंद्रमा को बाल ग्रह माना गया है , शास्‍त्रों में भी बालारिष्‍ट योग की चर्चा चंद्रमा के प्रतिकूल प्रभाव से ही की जाती है , इसलिए जीवन के प्रारंभिक भाग को चंद्र की ही दशा समझनी चाहिए।

इसी तरह वास्‍तविक अर्थ में विद्यार्जन का समय 12 वर्ष से 24 वर्ष की उम्र तक का होता है। 12 वर्ष के पहले बालक की तर्कशक्ति न के बराबर होती है। ज्ञानार्जन से संबंधित ग्रंथियां 24 वर्ष की उम्र तक पूर्ण तौर पर बन जाती हैं। इसलिए अधिकांश देशों में इस उम्र तक पहुंचते पहुंचते लोगों को बालिग घोषित कर दिया जाता है। इसलिए विद्या के कारक ग्रह बुध का दशाकाल 12 वर्ष से 24 वर्ष तक माना जाना चाहिए। बुध बली इस उम्र में विद्यार्जन के लिए अनुकूल वातावरण प्राप्‍त करते हैं , जबकि जिनका बुध निर्बल होता है , उन्‍हें विद्यार्थी जीवन में मुसीबतें झेलनी पडती हैं।

(24 वर्ष की उम्र के बाद क्रम से किन ग्रहों का दशाकाल आता है, इसे जानने के लिए इस लेख का दूसरा भाग पढें)


संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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