‘ज्योतिष : सच या झूठ’ नामक अपने ब्लॉग में जहां एक ओर ज्योतिष की समस्त कमजोरियों को स्वीकार किया है , वहीं दूसरी ओर इसके उज्जवल पक्ष की मैने वकालत भी की है। मैं इस विद्या का अंध भक्त नहीं हूं , फिर भी मैने पाया कि इस विद्या में वैज्ञानिकता की कोई कमी नहीं। यह वैदिककालीन विद्या है और हजारो वर्षों के बाद भी इसका अस्तित्व ज्यों का त्यों बना हुआ है। अत: इसमें अंतर्निहित सत्य को अस्वीकार करना अपनी अपरिपक्वता का परिचय देना है।
ज्योतिष विद्या मुझे काफी रूचिकर , आत्मज्ञान प्रदान करनेवाली लगी और मैने अपना संपूर्ण जीवन इसी में समर्पित कर दिया। मुझे प्रथम दृष्टि में ही महसूस हुआ कि इस विद्या में वैज्ञानिक विकास की अपरिमित बहुआयामी संभावनाएं हैं। गाणितिक संभावनावाद का उपयोग करके राजयोगों को विरल और चुस्त दुरूस्त किया जा सकता है और विरामावस्था के ग्रहों को सम्मिलित करके राजयोगों की सार्थकता को सिद्ध की जा सकती है। ग्रह शक्ति से संबंधित रहस्य ग्रहों की गति में छिपा हुआ है , इसलिए गतिज और स्थैतिज ऊर्जा को निर्धारित करने वाले सूत्रों की खोज की जा सकती है। पुन: फलित ज्योतिष में काल निर्धारण के लिए जितनी भी पद्धतियां प्रचलित हैं , सभी की गणना चंद्र नक्षत्र से की जाती हैं और शेष ग्रहों को अपना फल प्रदान करने के लिए पंक्तियों में खडा कर दिया जाता है।
सभी ग्रहों या आकाशीय पिंडों का परिभ्रमण पथ अप्रत्यक्षत: पृथ्वी के सापेक्ष भी निश्चित दूरी पर है। अगर सचमुच शरीर ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है , तो शरीर के ग्रंथियों को प्रतिनिधित्व इन ग्रहों को करना चाहिए। बाल्य काल की ग्रंथि से बाल्य काल की गतिविधि , किशोरावस्था की ग्रंथि से किशोरावस्था की गतिविधि , युवावस्था की ग्रंथि से युवावस्था की गतिविधि को जोडा जाना चाहिए। इसी तरह हर काल के लिए जिम्मेदार एक ग्रंथि होगी और मानव जीवन के हर काल की एक ग्रंथि का प्रतिनिधित्व एक निश्चित आकाशीय पिंड करेगा। उल्लिखित सारे संदर्भ मेरे चिंतन मनन के विषय अनवरत बने रहे। इस कारण आज मैं फलित ज्योतिष की वैज्ञानिकता को सिद्ध करने की स्थिति में हूं।
परंपरागत फलित ज्योतिष का जिस ढंग से विकास हुआ , जहां पर आकर इसकी विकास गति अवरूद्ध हो गयी है , वहां से इसे दावापूर्वक विज्ञान सिद्ध करना कठिन है। किसी विशेष ग्रह के विशेष भाव स्थिति में एक परिणाम को सिद्ध नहीं किया जा सकता। एक ग्रह ,एक भाव के फलाफल की परिवर्तनशीलता को अन्य ग्रह स्थिति से जोडा जाता रहा है , जो सर्वथा उचित नहीं है , वरन् फलाफल परिवर्तनशीलता का कारण ग्रह की विभिन्न गतियां हैं। परंपरागत ज्योतिष में ग्रहों की राशि और भाव स्थिति का फल वर्णित है , वहां ग्रह की स्थैतिक शक्ति का प्रतिशत क्या है , उस भाव में किस हैसियत से काम कर रहा है , इसे समझाने की बहुविध कोशिश होती रही और आम ज्योतिषी इस प्रयास में अनुमान के जंगल में भटक गए। एक ही ग्रह के विभिन्न गतियों में उसके भिन्न भिन्न फलाफल का गहरा संबंध है। इन खोजों के पश्चात फलित ज्योतिष को अनायास विज्ञान सिद्ध किया जा सकता है।
मुझे अब इस बात में किसी प्रकार का संशय नहीं रह गया कि ग्रहों का जड चेतन , वनस्पति , जीव जंतु और मानव जीवन पर प्रभाव है। अब किस दिन भूकम्प हो सकता है , किस दिन वर्षा हो सकती है , किस दिन समुद्री तूफान आ सकता है , किस दिन संसद में पक्ष विपक्ष में गर्मागर्म बहस होगी और लोग उनकी बातों को सांसे थाम सुन रहे होंगे , अभिप्राय सरकार के टूटने और बनने की स्थिति कब आएगी , किस विशेष तिथि को शिखर सम्मेलन होगा , कब कोई आंदोलन या हडताल निर्णायक मोड पर होगी। कोई व्यक्ति अपने जीवन के किस भाग में अपने सर्वोच्च मंजिल को प्राप्त कर सकता है, किस तिथि या काल में महत्वपूर्ण व्यक्ति कुंठित जीवन जी सकता है , इन प्रश्नों का उत्तर फलित ज्योतिषी आसानी से दे सकता है।
अब उस युग का शीघ्र ही अंत होनेवाला है , जब कोई ज्योतिषी किसी व्यक्ति के मनोभाव को समझकर तद्नुरूप अनुमानित भविष्यवाणी किया करते थे और सभी ज्योतिषियों की भविष्यवाणियां भिन्न भिन्न हुआ करती थी। मेरे शोधपूर्ण लेखों के पठन पाठन , अध्ययन मनन के पश्चात् अति दूरस्थ अपरिचित व्यक्ति की कुंडली देखकर उसके भूत , वर्तमान और भविष्य की जानकारी आसानी से दी जा सकती है। इन सिद्धांतों पर की गयी सभी ज्योतिषियों की भविष्यवाणियां एक जैसी होंगी। इस पुस्तक में ग्रह गति को ग्रह शक्ति का आधार मानते हुए ग्रह शक्ति निर्धारण का सूत्र दिया गया है तथा एक नई दशा पद्धति का उल्लेख है , जिसमें मानव जीवन के निश्चित उम्र अवधि में ग्रहों के फलाफल की चर्चा है। अत: अब ग्रहों के प्रभाव को लेखाचित्र में प्रस्तुत किया जा सकता है। इन नए सूत्रों और सिद्धांतों के प्रयोग से फलित ज्योतिष का कायाकल्प हो गया है।
आकाश में ग्रह की गति में जैसे ही बदलाव आता है , पृथ्वी पर प्रभाव डालनेवाले , मानव जीवन पर प्रभाव डालने वाले परिवेश में द्रुत गति से परिवर्तन होता है। ग्रहों की गति के सापेक्षा संसार में घटित होने वाली घटनाओं को देखकर पृथ्वी की समस्त घटनाओं को नियंत्रित करने वाली उस महाशक्ति और उसकी यांत्रिकी का बोध हो जाता है। इस तरह फलित ज्योतिष न अनुमान और अनिश्चितता की बात करेगा और न ज्योतिषियों के समक्ष ऐसी नौबत आएगी कि उन्हें बार बार अपनी भविष्यवाणियों के लिए पश्चाताप करना पडेगा। बुद्धिजीवी और वैज्ञानिक भी ग्रह गति के नियमों और उससे उत्पन्न शक्ति की जानकारी प्राप्त करके तद्नुरूप फल प्राप्ति के पश्चात् इसकी वैज्ञानिकता को स्वीकार करेंगे। उन्हें यह महसूस होगा कि इतने दिनों तक इस महानतम ब्रह्म विद्या की व्यर्थ ही उपेक्षा हो गयी। इस ज्योतिष विज्ञान के विकसित हो जाने पर ज्ञान और आत्म ज्ञान का अद्भुत प्रकाश संपूर्ण धरा को आलोकित करेगा। उपग्रह प्रक्षेपण जैसे कार्य में सुविधाएं होंगी , किसी देश के करोडों अरबों रूपए को नष्ट होने से बचाया जा सकेगा। इस विद्या को सरकारी संरक्षण और विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलाकर ही लाखों लोगों को रूचि लेने में प्रोत्साहित तथा सर्वोच्च विज्ञान को विकसित किया जा सकेगा। मेरे सिद्धांतों को समझने के बाद मुझे विश्वास है कि इस दिशा में वैज्ञानिक, सरकारी तंत्र , बुद्धिजीवी भी रूचि लेने लगेंगे तथा इस स्वदेशी प्राचीन विद्या के विकास की अनिवार्यता महसूस की जाने लगेगी।