बौद्ध धर्म की शिक्षा और सिद्धांत

बौद्ध धर्म की शिक्षा और सिद्धांत

बौद्ध धर्म एक अनीश्‍वरवादी धर्म है, इसके अनुसार कर्म ही जीवन में सुख और दुख लाता है। भारत ही एक ऐसा अद्भूत देश है जहां ईश्वर के बिना भी धर्म चल जाता है। ईश्वर के बिना भी बौद्ध धर्म को सद्धर्म माना गया है। दुनिया के प्रत्येक धर्मों का आधार विश्वास और श्रद्धा है जबकि बौद्ध धर्म की नीव बुद्धि है, यह इस धर्म और गौतम बुद्ध के प्रति आकर्षित करता है। सभी धर्म अपना दर्शन सुख से आरम्भ करते हैं जो कि सर्वसाधारण की समझ से कोसों दूर होता है। महात्मा बुद्ध अपना दर्शन दुःख की खोज से आरम्भ तो करते हैं पर परिणति सुख पर ही होती है। बौद्ध धर्म का आधार वाक्य है ‘सोचो, विचारो, अनुभव करो जब परम श्रेयस् तुम्हारे अनुभव में आ जाये तो श्रद्धा या विश्वास करना नहीं होगा स्वतः हो जाएगा।’


बौद्ध धर्म के चार तीर्थ स्थल हैं- लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर। लुम्बिनी  नेपाल में , बोधगया बिहार में , सारनाथ काशी के पास और कुशीनगर गोरखपुर के पास है। बौद्ध धर्म एक धर्म ही नहीं पूरा दर्शन है। महात्मा बुद्ध ने इसकी स्‍थापना की, इन्‍हें गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ, तथागत और बोधिसत्व भी कहा जाता है। उनके गुज़रने के अगले पाँच शताब्दियों में यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला और बाद में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गया। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा बडा धर्म माना गया है , क्‍योंकि इसे पैंतीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं। "अज्ञानता की नींद"से जागने वाले ,  जिन्होने सालों के ध्यान के बाद यथार्थता का सत्य भाव पहचाना हो , वे "बुद्ध" कहलाते हैं ।
बौद्ध धर्म की शिक्षा और सिद्धांत


बौद्ध धर्म के हिसाब से पहला आर्य सत्य दुःख है। जन्म दुःख है, जरा दुःख है, व्याधि दुःख है, मृत्यु दुःख है, अप्रिय का मिलना दुःख है, प्रिय का बिछुड़ना दुःख है, इच्छित वस्तु का न मिलना दुःख है। दुःख समुदय नाम का दूसरा आर्य सत्य तृष्णा है, सांसारिक उपभोगों की तृष्णा, स्वर्गलोक में जाने की तृष्णा और आत्महत्या करके संसार से लुप्त हो जाने की तृष्णा, इन तीन तृष्णाओं से मनुष्य अनेक तरह का पापाचरण करता है और दुःख भोगता है। तीसरा आर्य सत्य दुःखनिरोध है। तृष्णा का निरोध करने से निर्वाण की प्राप्ति होती है, देहदंड या कामोपभोग से मोक्षलाभ होने का नहीं। चौथा आर्य सत्य दुःख निरोधगामिनी प्रतिपद् है। यह दुःख निरोधगामिनी प्रतिपद् नामक आर्य सत्य भावना करने योग्य है। इसी आर्य सत्य को अष्टांगिक मार्ग कहते हैं। वे अष्टांग ये हैं :- 1. सम्यक्‌ दृष्टि, 2. सम्यक्‌ संकल्प, 3. सम्यक्‌ वचन, 4. सम्यक्‌ कर्मांत, 5. सम्यक्‌ आजीव, 6. सम्यक्‌ व्यायाम, 7. सम्यक्‌ स्मृति, 8. सम्यक्‌ समाधि। दुःख का निरोध इसी अष्टांगिक मार्ग पर चलने से होता है। पहला अंत अत्यंतहीन, ग्राम्य, निकृष्टजनों के योग्य, अनार्य्य और अनर्थकारी है। दूसरा अंत है शरीर को दंड देकर दुःख उठाना। इन दोनों को त्याग कर मध्यमा प्रतिपदा का मार्ग ग्रहण करना चाहिए। यह मध्यमा प्रतिपदा चक्षुदायिनी और ज्ञानप्रदायिनी है।

कलिंग के युद्ध के बाद अशोक ने व्यक्ति गत रूप से बौद्ध धर्म अपना लिया था , अशोक के शासनकाल में ही बौद्ध भिक्षु विभिन्नी देशों में भेजे गये, जिनमें अशोक के पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा गया । अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए धर्मयात्राओं का प्रारम्भ किया , राजकीय पदाधिकारियों और धर्म महापात्रों की नियुक्ति की, दिव्य रूपों का प्रदर्शन तथा धर्म श्रावण एवं धर्मोपदेश की व्यवस्था की लोकाचारिता के कार्य, धर्मलिपियों का खुदवाना तथा विदेशों में धर्म प्रचार को प्रचारक भेजने आदि काम किए। इस तरह विभिन्न् धार्मिक सम्प्रदायों के बीच द्वेषभाव को मिटाकर धर्म की एकता स्थापित करने में अशोक ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभायी।
संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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