tag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post1608207786742576327..comments2023-10-13T16:53:53.961+05:30Comments on Gatyatmak Jyotish, Your guide to the future.: बच्चों के पालन पोषण की परंपरागत पद्धतियां ही अधिक अच्छी थी !!संगीता पुरी http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-58031920616087205602010-10-31T17:15:55.271+05:302010-10-31T17:15:55.271+05:30हम जैसा बोएंगे,वैसा ही काटेंगे-बस, सबको इतना ही सम...हम जैसा बोएंगे,वैसा ही काटेंगे<br><br>-बस, सबको इतना ही समझना है.Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-91127827702242615332010-10-31T14:50:47.428+05:302010-10-31T14:50:47.428+05:30आर्थिक समीकरण के कारण हमने थोड़ा पाया और बहुत कुछ ...आर्थिक समीकरण के कारण हमने थोड़ा पाया और बहुत कुछ गंवाया है। एक कसक हम सब के भीतर है मगर समय के चक्र को उलटना संभव न होगा। लिहाजा,अभिभावकों को भी परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को तैयार रखने की आदत डालनी होगी।कुमार राधारमणhttp://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-22437286075919932222010-10-31T11:17:18.455+05:302010-10-31T11:17:18.455+05:30Bilkul theek baat kahi aapne.... poori tarah se sa...Bilkul theek baat kahi aapne.... poori tarah se sahmat hun....डॉ॰ मोनिका शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-77014540831032202342010-10-31T10:49:53.825+05:302010-10-31T10:49:53.825+05:30बहुत ही अच्छी सार्थक और प्रेरक प्रस्तुती...बहुत ही अच्छी सार्थक और प्रेरक प्रस्तुती...honesty project democracyhttp://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-41618301122739828232010-10-31T07:24:44.712+05:302010-10-31T07:24:44.712+05:30आपने सही कहा है ....शायद पहले ये कभी महसूस नहीं कर...आपने सही कहा है ....<br><br>शायद पहले ये कभी महसूस नहीं कर पाई! मा कि डाट हमेशा बहुत दिनों तक कहलती रही थी , पर आज जब माँ बनी हू तो उनके दिए हुए संस्कार ही अपने बेटी में देना चाहूंगी !<br><br>आपका लेख प्रशंसनीय है ...बधाईCoralhttp://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-81657280490179314142010-10-30T22:53:17.460+05:302010-10-30T22:53:17.460+05:30आप ने कहा ''आरंभिक दौर में हर आनेवाली पीढी...आप ने कहा <br><br>''आरंभिक दौर में हर आनेवाली पीढी पिछले पीढी को विचारों में कहीं न कहीं कमजोर मानती है, क्यूंकि उसका ज्ञान अल्प होता है। जैसे जैसे उम्र और ज्ञान का दौर बढता जाता है , पुरानी पीढी द्वारा कही गयी बातों में खासियत दिखाई देने लगती है''<br><br>आप की बात से अक्षरशः सहमत <br>मुझे भी पहले ऐसा ही लगता था .abhishek1502http://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-78997461477142108552010-10-30T20:38:17.870+05:302010-10-30T20:38:17.870+05:30मेरे दिल की बात कह दी..संगीता जी,प्यार के साथ,..अन...मेरे दिल की बात कह दी..संगीता जी,<br>प्यार के साथ,..अनुशासन की भी बहुत जरूरत है...मैने भी इसी विषय पर एक पोस्ट लिखी थी...और वो अखबार में भी छप गयी...<br>पैरेंट्स की प्यार भरी सुरक्षा किसी पेड़ जैसी हो या शामियाने जैसी ?? http://rashmiravija.blogspot.com/2010/10/blog-post_07.htmlrashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-25270054569117686542010-10-30T19:02:30.395+05:302010-10-30T19:02:30.395+05:30आज मानवता बची खुची है तो इसका श्रेय हमें परम्पराओं...आज मानवता बची खुची है तो इसका श्रेय हमें परम्पराओं से अपने पूर्वजों के सतत मार्गदर्शन को भी जाता है -<br>बहुत सुन्दर आलेख !Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-27145778889226869452010-10-30T17:49:33.961+05:302010-10-30T17:49:33.961+05:30आप ने सही लिखा है|बच्चों कि उलटी सीधी जिद्द पूरी क...आप ने सही लिखा है|<br><br>बच्चों कि उलटी सीधी जिद्द पूरी करना गलत है|Patali-The-Villagehttp://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-25265003866547254282010-10-30T17:37:19.538+05:302010-10-30T17:37:19.538+05:30संगीता जी, असल में पूर्व में हम परिवार को सबकुछ मा...संगीता जी, असल में पूर्व में हम परिवार को सबकुछ मानते थे और व्यक्तिगत कुछ नहीं था लेकिन अब परिवार कुछ नहीं है और व्यक्तिगत सबकुछ। इसलिए माता-पिता अपने बच्चों का विकास व्यक्तिगत रूप से कर रहे हैं उन्हें ऐसे सांचे में ढाल रहे हैं जिससे ज्यादा से ज्यदा अर्थ निकले। बस एक मशीन जो पैसा कमाती हो। आज के माता-पिता को समझ नहीं आ रहा है कि हम ही अपने लिए कांटे बो रहे हैं और बच्चों को परिवार से दूर कर रहे हैं। लेकिन अब लोगों को समझ आने लगा है और हो सकता है कि परिवर्तन हो।ajit guptahttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-47419453049998231362010-10-30T17:09:42.214+05:302010-10-30T17:09:42.214+05:30अच्छा आलेख है...अनुशासन बहुत ज़रूरी है...अच्छा आलेख है...अनुशासन बहुत ज़रूरी है...फ़िरदौस ख़ानhttp://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-18961770970923918182010-10-30T17:01:32.912+05:302010-10-30T17:01:32.912+05:30बहुत अच्छी बात कही जीलाड-प्यार में बच्चों की हर जि...बहुत अच्छी बात कही जी<br>लाड-प्यार में बच्चों की हर जिद और लालसा पूरी करना भी सही नहीं है। थोडा डाँट-डपट और उल्टा-सीधा खाने में अनुशासन भी होना चाहिये।<br><br>प्रणामअन्तर सोहिलhttp://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.com