ये कैसे कैसे अंधविश्‍वास 1

हिंदी ब्‍लॉगरों के काम को कम नहीं आंका जाना चाहिए , शनै: शनै: ही सही , हर महत्‍वपूर्ण विंदुओं पर वे अपनी कलम चला ही रहे हैं , देश में अंधविश्‍वास कितना हद तक फैला हुआ है , वो इनकी नजर से देखा जा सकता है। मैने तीन पोस्‍टों में इसे…

आखिरकार पुलिस ने मुझे ढूंढ ही लिया !!

अपने जीवन की सब सुख सुविधा छोडकर अपने चिंतन के प्रति समर्पित होकर ही कोई लेखक लेखन की निरंतरता बना पाता है। उसका लक्ष्‍य अपने अनुभवों और विचारों का समाज में बेहतर प्रचार प्रसार ही होता है , क्‍यूंकि एक प्रतिशत से भी कम मामलों म…

ज्‍योतिष की वैज्ञानिकता पर प्रश्‍नचिन्‍ह

गिरीश बिल्‍लौरे 'मुकुल' जी द्वारा लिए गए  मेरे इंटरव्‍यू वाले पोस्‍ट में  दो प्रकार की ग्राफ की भी चर्चा की गयी है , जो उनके जन्‍म विवरण के आधार पर 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' के सिद्धांतों पर आधारित मेरे स्‍वयं के द…

मेरे परिवार का नाम पुराण !!

कहा जाता है नाम में क्‍या रखा है ? अरे नाम में ही तो सबकुछ रखा है , लोगों के कर्म , लोगों के विचार , लोगों की कल्‍पना , सब नाम में ही तो छुपी होती है। इसलिए परिवार के लोगों के नाम से ही आप उनके परिवार की मानसिकता , उनके संस्‍का…

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