जून, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
दो चार दिन पूर्व अंतर सोहिल जी की टिपपणी मिली थी , उन्होने पूछा था कि इस गर्मी से कब निजात मिलेगी। ज्योतिष सीखलाने का क्रम शुरू कर दिया था , इस कारण कोई नया पोस्ट नहीं लिख पा रही थी , इसलिए जबाब न दे सकी। इस वर्ष के मौसम का …
बात उन दिनों की है , जब घर में मम्मी को सिलाई बुनाई करते देखते हुए इसे सीखने की इच्छा हुई। मैट्रिक की परिक्षाएं हो चुकी थी और मैं घर में बैठी थी। मम्मी चाहती थी कि कॉलेज जाने से पहले घर के कुछ काम काज , तौर तरीके सीख ले। तो…
यह जानते हुए कि पैरों के बिना सही ढंग से जीवन जीया नहीं जा सकता , हम अपने शरीर में पैरों का स्थान सबसे निकृष्ट मानते हैं। शायद शरीर के सबसे निम्न भाग में होने की वजह से गंदा रहने और किटाणुओं को ढोने में इसकी मुख्य भूमिका ह…
मक्खन पहली बार शहर जा रहा था , मक्खनी को भय था कि वहां मक्खन बेवकूफ न बन जाए, क्यूंकि उसने सुना था कि वहां के लोग गांववालों को बहुत बेवकूफ बनाते हैं' 'शहर से लौटकर मक्खन ने बताया कि वो खामख्वाह ही उसे बेवकूफ समझ…
एक कथा में कहा गया है कि पूरी धरती को जीतने वाला एक महत्वाकांक्षी राजा अधिक दिन तक खुश न रह सका , क्यूंकि वह चिंतित था कि आपनी बेटी की शादी कहां करे , क्यूंकि इस दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति न सिर्फ अपनी बेटियों का विवाह अ…
दिल्ली यात्रा के दौरान सबसे अधिक मौका भतीजे भतीजियों के साथ रहने का मिला। ये है साढे चार वर्षीय यूरी सेठी , तीन वर्ष की उम्र तक खाना ही नहीं जानती थी , सिर्फ दूध पीकर या दूध में कोई खाद्य पदार्थ पीसकर गटकती रही। आजकल किसी तरह एक…
अपने तो हमेशा प्रशंसक होते हैं , इसलिए उसकी प्रशंसा आपको उतना सुख नहीं दे सकती , जितना एक विरोधी के द्वारा आपकी प्रशंसा किए जाने पर होता है। एक विरोधी के द्वारा प्रशंसा किए जाने का अर्थ है कि आप सही राह चल रहे हैं , जो आपका आत्…
हिंदी ब्लॉग जगत से जुडने के बाद प्रतिवर्ष भाइयों के पास दिल्ली यानि नांगलोई जाना हुआ , पर इच्छा होने के बावजूद ब्लोगर भाइयों और बहनों से मिलने का कोई बहाना न मिल सका। इस बार दिल्ली के लिए प्रस्थान करने के पूर्व ही ललित श…