tag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post6535875622784381659..comments2023-10-13T16:53:53.961+05:30Comments on Gatyatmak Jyotish, Your guide to the future.: ज्योतिष में सर्पधर तारामंडल संगीता पुरी http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-17394003689896091342011-01-20T10:53:23.621+05:302011-01-20T10:53:23.621+05:30ज्ञानवर्धक आलेख!ज्ञानवर्धक आलेख!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-90074187337375780112011-01-20T09:57:57.474+05:302011-01-20T09:57:57.474+05:30पश्चिमी ज्योतिषी भी इसे नकार चुके हैं. १३ वी राशी ...पश्चिमी ज्योतिषी भी इसे नकार चुके हैं. १३ वी राशी का स्वामी कौन है? बिना स्वामी के कैसी राशी? और वैसे भी पश्चिम में ८८ नक्षत्र गिने गए हैं अचानक एक ऐसा लाडला नक्षत्र याद किये जाने की क्या जरूरत पड गई और वैसे भी लग्न तथा सूर्यराशी का मिलान पश्चिम में भी सही फ़ल देता है - हां ट्रापिकल सिस्टम में लग्न का निर्धारण भिन्न होता है और वे गोचर पर अधिक ध्यान देते हैं चूंकि उनके यहां दशा-पद्धति नही चलती.eSwamihttps://www.blogger.com/profile/04980783743177314217noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-37047311386161572812011-01-19T14:43:13.290+05:302011-01-19T14:43:13.290+05:30किसी क्षेत्र विशेष का नाम लेकर चलने का आग्रह जिन ल...किसी क्षेत्र विशेष का नाम लेकर चलने का आग्रह जिन लोगों ने किया है ,वह कितना तार्किक है?उठाये गए प्रश्नों का जवाब देने का अधिकार संगीता जी का ही है.परन्तु ज्योतिष के क्षेत्र में ही होने के कारण भ्रम का निवारण करना चाहता हूँ.जब अमेरिका की खोज भी नहीं हुयी थी और ब्रिटेन के लोगों को वस्त्र पहनने का भी ज्ञान न था तब भी भारतीय ज्योतिष विज्ञान बहुत आगे पहुँच चुका था.इसमें कोई ह्रास नहीं हुआ है.सम्पूर्ण ब्रह्मांड ३६० डिग्री में फैला है और उसे सूर्य की कलाओं के मान ३० -से विभक्त करने पर सदैव १२ राशियाँ ही बनेंगी.राशी की गणना चन्द्र की उपस्थिति से होती है.अतः विदेशियों के कुतर्कों से ज्योतिष -विज्ञानं कभी प्रभावित नहीं हो सकता..किसी भी विषय के नियमबद्ध एवं क्रमबद्ध अध्ययन को विज्ञानं कहते हैं.अतः ज्योतिष एक सम्पूर्ण विज्ञानं है.अज्ञान वश कोई इसे विज्ञानं न माने तो क्या फर्क पड़ता हैvijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-25517015125391680422011-01-19T14:29:41.278+05:302011-01-19T14:29:41.278+05:30यह सही है या नहीं, ये तो आप लोग ही जानें।यह सही है या नहीं, ये तो आप लोग ही जानें।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13342084356954166189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-5406936155595600462011-01-18T22:56:35.749+05:302011-01-18T22:56:35.749+05:30धन्यवाद इस सुंदर जानकारी के लिये,धन्यवाद इस सुंदर जानकारी के लिये,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-53538976507653613772011-01-18T21:37:52.089+05:302011-01-18T21:37:52.089+05:30आपकी अगली पोस्ट की प्रतीक्षा है..आपकी अगली पोस्ट की प्रतीक्षा है..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-16987660668091031752011-01-18T18:35:42.840+05:302011-01-18T18:35:42.840+05:30आदरणीय द्विवेदी जी,
नमस्कार ।
आपकी टिप्पणी मि...आदरणीय द्विवेदी जी,<br /><br />नमस्कार ।<br /><br /><br />आपकी टिप्पणी मिल चुकी है और मैने उसे प्रकाशित भी कर दिया है । व्यस्तता के कारण हाल के दिनों में ब्लॉगिंग में मेरे क्रियाकलाप कम चल रहे हैं। पर जनसामान्य में किसी भी तरह का भ्रम फैलता है .. तो उसे दूर करने के लिए मैं कुछ न कुछ लिखती ही हूं। डॉ अरविंद मिश्रा जी के अनुरोध पर मैं एक विस्तृत पोस्ट लिखने वाली थी .. पर समय की कुछ कमी चल रही है .. यदि आप इसपर समय दे सके .. तो बहुत ही अच्छा होगा।<br /><br /><br />संगीता पुरीसंगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-69640710952773306062011-01-18T18:21:35.818+05:302011-01-18T18:21:35.818+05:30मेरी टिप्पणी इतनी लंबी हो गई कि उसे स्वीकार ही नही...मेरी टिप्पणी इतनी लंबी हो गई कि उसे स्वीकार ही नहीं किया और मिट गई। संगीता जी स्वयं विस्तृत पोस्ट लिखने वाली हैं। यदि उस से भ्रम का समाधान न हो सका तो एक पोस्ट इस पर लिखने का श्रम करना होगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-66330001760066352872011-01-18T18:19:51.883+05:302011-01-18T18:19:51.883+05:30आप जानती हैं कि फलित ज्योतिष पर मेरा तनिक भी विश्व...आप जानती हैं कि फलित ज्योतिष पर मेरा तनिक भी विश्वास नहीं है। लेकिन आप की बात सही है। हमने तीस-तीस अंश के क्षेत्र को राशि माना है। उस क्षेत्र में जो प्रमुख तारामंडल है उस के नाम से उस राशि को जाना जाता है। हो सकता है आकाशीय परिवर्तनों से किसी एक क्षेत्र के प्रमुख तारामंडल के तारे मंद हो जाएं। नए तारों के जन्म और पुराने तारों की मृत्यु के कारण किसी क्षेत्र में या किन्हीं दो क्षेत्रों के मध्य कोई नई आकृति उभर आए। उस से राशियों के निर्धारण पर कोई फर्क नहीं पड़ता। पाश्चात्य ज्योतिषी राशियों का आरंभ वर्नल इक्विनोक्स के आधार पर तय करते हैं अर्थात् मार्च में जिस तिथि को रात और दिन बराबर होते हैं, तथा जिस क्षण सूर्य सीधे मूमध्य रेखा के ठीक ऊपर होकर गुजरता है, उस समय वह क्रांतिवृत्त पर जिस बिंदु पर होता है वहीं से मेष राशि का आरंभ माना जाता है। वर्तमान में यह 20-21 मार्च को होता है। इस बिंदु से तीस अंश का मार्ग तय कर लेने पर वृष राशि आरंभ हो जाती है, इसी तरह 30-30 अंशों पर 12 राशियाँ मानी जाती हैं। पाश्चात्य ज्योतिष के अनुसार जो राशियाँ हैं उन के प्रमुख तारामंडल तो उन के क्षेत्रों से कब के बाहर हो चुके हैं। वस्तुतः सूर्य 13 अप्रेल को मेष की संक्रांति पर जहाँ होता है वहाँ से तीस अंश आगे तक का जो क्षेत्र है वहाँ मेष तारामंडल के तारे दिखाई पड़ते हैं। इस तरह भारतीय ज्योतिषीय मान्यताएँ अधिक स्थिर हैं। <br />ज्योतिर्विज्ञान के अध्ययन के लिए उचित है, लेकिन किसी व्यक्ति के भाग्य पर या मौसम आदि पर इन का कोई असर नहीं होता है और न ही इसे सिद्ध किया जा सका है। एक सी परिस्थितियों में चार ज्योतिषियों का फलित सदैव ही अलग-अलग रहता है। इस तरह फलित ज्योतिष कहीं से भी विज्ञान नहीं है। अपितु आकाशीय पिण्डों के वैज्ञानिक व गणितीय अध्ययन पर आधारित एक भीषण भ्रम मात्र है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-4852193296565625892011-01-18T13:48:15.438+05:302011-01-18T13:48:15.438+05:30संगीता जी सुर्य सिद्धान्त के संपाद बिन्दु को समझना...संगीता जी सुर्य सिद्धान्त के संपाद बिन्दु को समझना <br /><br />मेरे लिये कठिन हो गया है,कृपया इसको स्पष्ट करें,आभार ।Vinashaay sharmahttps://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-77560260003892277372011-01-18T12:53:06.778+05:302011-01-18T12:53:06.778+05:30कसौटी पर कसा हुआ ही चिरकाल तक स्थाई होता है।कसौटी पर कसा हुआ ही चिरकाल तक स्थाई होता है।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-66649810152927900602011-01-18T12:45:27.189+05:302011-01-18T12:45:27.189+05:30इस विद्या को मैं कौतुक से ही देख पाती हूँ ...आपके ...इस विद्या को मैं कौतुक से ही देख पाती हूँ ...आपके द्वारा ही इसमें थोड़ी रूचि पैदा हुयी है ...जानकारी के लिए आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-35606709349147352942011-01-18T12:29:02.078+05:302011-01-18T12:29:02.078+05:30मुझे आपके ही आलेख का इंतज़ार था इस विषय पर और आपने ...मुझे आपके ही आलेख का इंतज़ार था इस विषय पर और आपने सही कहा है हमारे यहाँ सूर्य से गणनाये होती हैं…………जानकारी के लिये आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-77510554936181224792011-01-18T11:41:42.833+05:302011-01-18T11:41:42.833+05:30इसे और विस्तार से लिखें तो अधिक समझ आयेगी। धन्यवाद...इसे और विस्तार से लिखें तो अधिक समझ आयेगी। धन्यवाद इस जानकारी के लिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-84770665719827438162011-01-18T09:41:59.893+05:302011-01-18T09:41:59.893+05:30आदरणीय संगीता जी
आपने सही समय पर सार्थक आलेख लिखा...आदरणीय संगीता जी <br />आपने सही समय पर सार्थक आलेख लिखा है.....आपकी पोस्ट बहुत सारगर्भित ढंग से प्रकाश डालती है ज्योतिष पर ......विष्णु बैरागी जी के मत से सहमत ...शुक्रियाकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-5925129915293551432011-01-18T07:37:27.423+05:302011-01-18T07:37:27.423+05:30आपने बिलकुल सही मुद्दा उठाया है। परंतु इस बारे में...आपने बिलकुल सही मुद्दा उठाया है। परंतु इस बारे में बनारस और पूना के ज्योतिष अनुसंधानकर्ताओं की राय लेकर विस्तृत लेख लिखें और चर्चा कराना आवश्यक है।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-59878968402150228682011-01-18T07:03:12.698+05:302011-01-18T07:03:12.698+05:30इस विषय के साथ इतना हल्का ट्रीटमेंट न तो फलित ज्यो...इस विषय के साथ इतना हल्का ट्रीटमेंट न तो फलित ज्योतिषियों और न ही ज्ञान पिपासुओं के लिए न्यायपूर्ण है -विस्तित आलेख लिखें !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3107403587472938440.post-5611994123456107552011-01-18T07:02:33.728+05:302011-01-18T07:02:33.728+05:30आप बिलकुल ठीक कह रही हैं। यह अलग बात है कि 'बा...आप बिलकुल ठीक कह रही हैं। यह अलग बात है कि 'बाजार' के मारे, हमारे अखबार कहीं इस फितूर को स्थापित न कर दें।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.com