Jhoot nahi bolna sach kehna

Jhoot nahi bolna sach कहना झूठ के पांव होते ही नहीं हैं , कभी कहीं भी पहुंच सकता है। पर बिना पांव के ही भला वह , फासला क्‍या तय कर सकता है ? भटकते भटकते , भागते भागते , उसे अब तक क्‍या है मिला ? मंजिल मिलनी तो दूर रही , द…

मान्‍यताएं कब अंधविश्‍वास बन जाती हैं ??

सुपाच्‍य होने के कारण लोग यात्रा में दही खाकर निकला करते थे , माना जाने लगा कि दही की यात्रा अच्‍छी होती है। देर से पचने के कारण यात्रा में कटहल की सब्‍जी का बहिष्‍कार किया जाता था , माना जाने लगा कि कटहल की यात्रा खराब होती …

आवश्‍यक मोह ममता की अति

इस विविधता भरी दुनिया में प्रत्‍येक जीव जंतु के विकास के लिए प्रकृति की व्‍यवस्‍था बहुत सटीक है। प्राकृतिक व्‍यवस्‍था के हम जितने ही निकट होते हैं , हर चीज में संतुलन बना होता है। प्रकृति से हमारी दूरी जैसे ही बढने लगती है , सा…

क्‍या लालू , बालू और कालू की मजेदार कहानी आपको याद है ??

amari kahani अचानक बचपन में किसी पत्रिका में पढी एक मजेदार कहानी की आज मुझे याद आ गयी। किसी गांव में तीन भाई रहा करते थे .. लालू , बालू और कालू । लालू और बालू खेतों में काम करते , जबकि कालू का काम उस गांव के दारोगा जी के लिए …

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