काफी हद तक जीन का प्रभाव और कुछ हद तक परिस्थितियों का प्रभाव , पर इतने विशाल दुनिया में कोई भी दो बीज एक जैसे नहीं होते । रंग रूप , और बनावट में भिन्नता तो हमें स्पष्टत: दिखाई पडती है , पर वो एक होने पर भी कभी कभी स्वभाव तक में अच्छी खासी भिन्नता देखी जाती है। वास्तव मे विचित्रता से भरी इसी दुनिया में सुंदरता , स्वाद और व्यवहार का भिन्न भिन्न रूप हमारे सोंचने और समझने की शक्ति को बढाने में सहायक है। इनके वर्णन करने के क्रम में इतने साहित्य लिखे गए , पर लेखकों के लिए अभी भी न तो भाव की कमी हुई है और न ही शब्दों की और न ही आगे कभी होगी।
जीन की विभिन्नता के कारण ही नहीं , परिस्थितियों की विभिन्नता के कारण भी हम मनुष्य भी एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं। इतिहास की किताबों में हमने जितने महापुरूषों के बारे में पढा है , सबका व्यक्त्त्वि बिल्कुल भिन्न दिखाई पडा होगा , यहां तक कि किसी की किसी से तुलना भी नहीं की जा सकती है। अपने ही परिवार में हमें महसूस होगा कि हर व्यक्ति की रूचि , आई क्यू बात चीत करने का तरीका सब भिन्न है, पर इसे स्वीकारने में हमें कठिनाई आती रहती है।क्यूंकि हम अपने सामने वाले को एक ढांचे में फिट देखना चाहते हैं , जो कदापि संभव नहीं। इसके बावूजद हम एक दूसरे के दोष निकालते हैं , उसे भला बुरा कहते हैं , अपनी बातें मनवाने को मजबूर करते हैं।
बहुत से परिवार में अनुशासन के आड में बच्चों और बहू पर बहुत अंकुश रखा जाता है , यहां तक कि कई जगहों पर पति और पत्नी के द्वारा भी एक दूसरे के साथ बहुत अधिक समायोजन की अपेक्षा रखी जाती है। बच्चे अभिभावक के मनमुताबिक कैरियर चुने , यह कहां का इंसाफ है ? पति पत्नी शादी विवाह के बंधन में अवश्य ही बंध गए हों , पर अपने अपने स्वभाव के अनुरूप जीने के लिए वो स्वतंत्र हैं , क्यूंकि किसी को अधिक खर्च करने की आदत होती है तो किसी को कम , किसी को घमने फिरने , मिलने जुलनेकी आदत होती है तो किसी की महत्वाकांक्षा उसके जीवन को व्यस्त बनाती है। पर कहीं पति इसे स्वीकार न करे तो उसे भला बुरा कहा कहा जाता है तो कहीं पत्नी को। घर कलह का केन्द्र बन जाता है , जिसका प्रभाव बच्चों पर बुरा पडता है।
यदि अधिक दिनों तक किसी व्यक्ति पर ऐसा दबाब बनाया जाए तो अपनी प्रकृति के अनुसार काम न कर पाने से उसके आत्मविश्वास पर बुरा प्रभाव पडता है। इसलिए चाहे वो आपका संतान हो , माता पिता हों या पति या फिर पत्नी जबतक किसी की जीवनशैली से उसका या किसी और का बडा नुकसान न हो रहा हो , कोई खास समस्या न उपस्थित हो रही हो , उसे अपने मन मुताबिक काम करने से नहीं रोका जाना चाहिए। अपने मनमुताबिक काम करने से व्यक्ति सफलता के चरम तक पहुंच सकता है , दूसरों के दिखाए रास्ते पर कोई तभी चल सकता है , जब उसकी क्षमता कोई और काम कर पाने की न हो!