चार वर्ष पूर्व एक व्यवसायी को कैंसर हो गया , उन्होने व्यवसाय में से एक करोड रूपए निकालकर अलग रखे। इस एक करोड रूपयों को निकाल देने से उनके व्यवसाय में रत्तीभर का भी फर्क न पडनेवाला था , इसलिए पूरी निश्चिंति से इलाज करवाते रहें । तीन वर्ष तक नवीनतम दवाइयों और ऑपरेशन के बल पर वे सामान्य जीवन जी सकने में समर्थ रहें , इन तीन वर्षों में अनुमानत: 35 लाख रूपए खर्च हो चुके थे , पर उसके बाद वे स्वर्ग सिधार गए। लोगों का मानना है कि दूसरा कोई होता तो कब उसके प्राण चले गए होते , इन्होने तो पैसों के बल पर तीन वर्ष काट लिए। पर मुझे ये बात पच नहीं रही , यदि वे पैसों के बल पर जीवित रहे , तो उनके पास तो इलाज के लिए रखे गए 65 लाख रूपए बचे ही थे , उसका उपयोग क्यूं नहीं हुआ ??