जब से मैने चिट्ठा लिखना शुरू किया है , 'गत्यात्मक ज्योतिष' की दृष्टि से ग्रहों के आधार पर जो आनेवाला मौसम होना चाहिए , उसके बारे में मैं अक्सर आलेख लिखा करती हूं। वैसे नियमित तौर पर पढनेवाले पाठक ही समझते होंगे कि मेरा आकलन कितना सही रहता है। 29 मार्च को पोस्ट किए गए अपने आलेख में ही मैने लिखा था कि 24 जून के तुरंत बाद शुभ ग्रहों का प्रभाव आरंभ होगा , जिसके कारण बादल बनने और बारिश होने की शुरूआत हो सकती है , यदि नहीं तो कम से कम मौसम खुशनुमा बना रह सकता है। हमारी गणना के अनुरूप ही 24 जून के बाद ही आसमान में बादल दिखाई देने लगें तथा यत्र तत्र बारिश के छींटे पडने लगे। जुलाई के पहले और दूसरे सप्ताह में पूरे भारतवर्ष में थोडी बहुत बारिश होती ही रही।
वैसे तो उस आलेख में मैने यह भी लिख दिया था कि इस वर्ष यानि 2010 में मौसम की सबसे अधिक बारिश 4 अगस्त के आसपास से शुरू होकर 19 सितम्बर के आसपास तक होगी। यह समय पूर्ण तौर पर खेती का है , इसलिए इस वर्ष किसानों को अवश्य राहत मिलनी चाहिए। लेकिन इतना स्पष्ट न कर सकी थी कि 4 अगस्त से पहले के पंद्रह बीस दिन बहुत अच्छी बारिश के नहीं होंगे। आप पाठकों को यह जानकर थोडा कष्ट पहुंचेगा कि 18 जुलाई के पहले के मौसम की तुलना में 18 जुलाई के बाद का मौसम कुछ कष्टकर दिख रहा है। 30 जुलाई को आसमान में बनने वाले अशुभ ग्रहों की खास स्थिति और उनकी गत्यात्मक शक्ति के कारण इस योग के 12 दिन पूर्व और पश्चात् मौसम गर्म हो सकता है। इसलिए 18 जुलाई से 12 अगस्त के आसपास तक बादल छितराए होंगे और बहुत अच्छी बारिश नहीं हो पाएगी।
लेकिन चूंकि भारतवर्ष के लिए यह मौसम पूर्ण तौर पर बारिश का है , इसलिए 17 , 18 , 23 , 24 , 25 , 31 जुलाई और 1 या 2 अगस्त को खासग्रहयोग के कारण यत्र तत्र बारिश होती रहेगी और उसके कारण अन्य स्थानों का भी वातावरण सुखद दिखाई पडेगा , पर कुल मिलाकर बारिश इतनी भी नहीं होगी , जो कृषि या अन्य जरूरतों के लिए जल की पूर्ति कर सके। खासकर जहां फसलों की रोपाई जुलाई में ही होती है , वहां अधिक मुसीबत आएगी। भला का बरखा जब कृषि सुखाने ??
पर खुशी की खबर ये है कि 6 और 7 अगस्त को आसमान में शुभ ग्रहों की स्थिति बन रही है , जिसके कारण 4 अगस्त के बाद बारिश की प्रचुरता होनी चाहिए , जिससे अगस्त में रोपाई होने वाले स्थानों पर किसानों को राहत मिल सकेगी। यह ग्रहयोग अशुभ ग्रहों के योग के प्रभाव को कुछ कम कर सकता है। जैसा कि मैने पहले भी अपने आलेखों में लिखा है , 4 अगस्त से लेकर 19 सितंबर तक प्रचुर मात्रा में बारिश होगी , पर प्राकृतिक असंतुलन के मध्य इस बारिश का हर स्थान पर बंटवारा सही होगा , इसपर कुछ संदेह तो रह ही जाता है। लेकिन इस मध्य अधिकांश स्थानों पर बारिश की कमी नहीं होनी चाहिए। इस तरह खेतों में पानी के लिए अभी किसानों को कुछ और इंतजार करना पड सकता है।