ब्लॉग जगत में आने के बाद महीने में 20 - 25 पोस्ट ठेल देने वाली मैं अचानक कुछ दिनों से कुछ भी नहीं लिख पा रही हूं। 2011 में होनेवाली इस प्रकार की व्यस्तता का कुछ अंदाजा तो मझे पहले से था , पर एकाएक लिखना इतना कम हो जाएगा , ऐसा भी नहीं सोंचा था। ब्लॉग जगत से जुडाव इस हद तक हो चुका है कि व्यस्तता के बावजूद एक बार डैशबोर्ड खोलकर कम से कम उन सारे ब्लॉग्स के अपडेट अवश्य देख लेती हूं , जिनकी मैं अनुसरणकर्ता हूं , भले ही टिप्पणी कर पाऊं या नहीं। यहां तक कि ईमेल में आनेवाले लिंकों , बज्ज की पोस्टों और ट्विटर तक को सरसरी निगाह से देखे बिना नहीं रह पाती। ऐसे व्यस्तता भरे समय में सारे एग्रीगेटरों के बंद होने से चाहे नए ब्लॉगरों और अन्य पाठकों को जो भी असुविधाएं हो रही हों , मुझे तो ये सहूलियत ही दे रहे हैं। चिट्ठा जगत के द्वारा स्वागत के लिए नए चिट्ठों के न आने से जहां एक ओर उन्हें पढकर उनके स्वागत करने से छुट्टी मिली हुई है , वहीं दूसरी ओर ब्लॉग4वार्ता में वार्ता न लगाने तक का बहाना मिल गया है। थोडी फुर्सत मिलते ही सोंचा , अपने नियमित पाठको को अपनी स्थिति से अवगत ही करा दूं।
अभी घर में चहल पहल का वातावरण है , कॉलेज की शीतकालीन छुट्टियों की वजह से दोनो बच्चे घर में मौजूद हैं , गांव तथा इस इलाके में अन्य कई तरह के कार्य के सिलसिले में एक महीने से पापाजी भी दिल्ली से आकर इसी इलाके में रह रहे हैं। पापाजी के सभी बच्चों में अपने गांव से सबसे निकट मैं ही हूं , इसलिए मम्मी ने उनकी पूरी जिम्मेदारी मुझे दे रखी है। ठंड के महीने में बुजुर्गो को अधिक देख रेख की आवश्यकता होती है , इसलिए मम्मी के निर्देशानुसार पापाजी काम के सिलसिले में सुबह से शाम तक या एक दो दिन कहीं रह जाएं , पर उनका असली बसेरा मेरे यहां ही है। 1999 से पापाजी के दिल्ली में निवास करने के बाद उनके साथ रहने का बहुत कम मौका मिला , इसलिए न सिर्फ ज्ञानार्जन के लिए उनके इस सान्निध्य के पल पल का उपयोग कर रही हूं , बल्कि उन्हें अब इस बात के लिए मना भी लिया है कि अब अपनी सेवा के लिए वे मुझे भी बेटों बहूओं से कम समय नहीं दें। यह बात और है कि इतनी उम्र के बावजूद शारीरिक तौर पर वे बिल्कुल स्वस्थ हैं और उन्हें किसी प्रकार की सेवा की आवश्यकता नहीं।
दिन कटते देर नहीं लगती , देखते ही देखते बच्चों के आए हुए 15 दिन व्यतीत हो गए , वैसे ही 4-5 दिन और व्यतीत हो जाएंगे , फिर बच्चे वापस अपने जीवन के सपनों को पूरा करने के लिए चले जाएंगे और मैं रह जाऊंगी अपने कार्यक्रमों को सफल बनाने में। गजब की महत्वाकांक्षा का युग है , किसी रिश्ते का अच्छे से सुख भी नहीं ले पाते हम। चूंकि छोटा 2010 में 12वीं पास कर आगे की पढाई के लिए बाहर जानेवाला था , मैने काफी दिनों से 2011 के लिए कई महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बना रखे थे। ऐसे समय में पापाजी का मुझे समय देने का निर्णय मुझे बडा सुख पहुंचाने वाला है। अभी हमलोग 'गत्यात्मक ज्योतिष' से संबंधित अपने ज्ञान के प्रचार प्रसार के कार्यक्रम के बारे में चिंतन कर रहे हैं , इससे संबंधित सारे बिखरे हुए लेखन को सुव्यवस्थित करने में कुछ समय लगेगा। साथ ही इस कार्यक्रम में आनेवाली आर्थिक समस्या को भी हल करने की कोशिश है। जैसा कि मेरा अनुमान है , जुलाई 2010 या जनवरी 2011 तक हमलोग अपने सोंचे हुए कार्य को अवश्य मूर्त्त रूप दे पाएंगे।
भले ही मेरे जीवन का लक्ष्य एक (समाज से ज्योतिषीय और धार्मिक भ्रांतियों को दूर करना और ग्रहों के मानव जीवन पर पडने वाले प्रभाव को स्थापित करना) ही हो , पर तीन चार वर्षों में मेरा काम करने का ढंग खुद ब खुद परिवर्तित हो जाया करता है। पर जिन जगहों पर मेरा संबंध बन चुका , उससे व्यस्तता के बावजूद दूरी नहीं बन पाती। इस तरह ब्लॉग जगत से दूर रह पाना मेरे लिए मुश्किल है , हालांकि अब पहले की तरह बहुत पाठकों के व्यक्तिगत प्रश्नों का जबाब मैं नहीं दे सकती। फिर भी अभी भी लग्न राशिफल के ब्लॉग को नियमित तौर पर अपडेट कर रही हूं , मोल तोल में शेयर बाजार की साप्ताहिक भविष्यवाणी का कॉलम लगातार अपडेट हो रहा है। अपने वादे के अनुसार 'गत्यात्मक चिंतन' में तिलियार ब्लॉगर मीट की रिपोर्ट का पहला भाग काफी दिन पहले ही लिखा जा चुका था , पर दूसरे भाग के लिखे जाने में हो रही देर की वजह से मैने उसे प्रकाशित नहीं किया था। पर बाद में यह सोंचकर प्रकाशित किया कि शायद प्रकाशित हो जाने के बाद दूसरी कडी लिखी जा सके।
यदि सबकुछ सामान्य रहा तो 2011 के अपने व्यस्त कार्यक्रम के मध्य भी समय निकालकर प्रत्येक सप्ताह अपने ब्लॉग 'गत्यात्मक ज्योतिष' और 'गत्यात्मक चिंतन' को अपडेट करने की अवश्य कोशिश करूंगी , ताकि माह में छह आठ पोस्ट आप सबों को अवश्य पढने को मिल जाए। आप सभी पाठकों के लिए आनेवाला वर्ष 2011 बहुत सुख और सफलता युक्त हो , ऐसी कामना करती हूं । मैं भी अपने लक्ष्य में कामयाब हो सकूं , इसके लिए मुझे आप सभी पाठकों की शुभकामनाओं की आवश्यकता है !!