एक महीने से नेट से दूर हूं , पंद्रह दिनों तक भतीजे के ब्याह की व्यस्तता बनी रही , उसके बाद खुद के अपने क्वार्टर में शिफ्ट होने की तैयारी में व्यस्त हूं। इस दौरान होली की शुभकामना भरा एक पोस्ट प्रकाशित ही नहीं हुआ . पिछले वर्ष ही मैने अपने लेख में लिखा था कि दोनो बेटों की बारहवीं की परीक्षा समाप्त होने के बाद मैं पुन: एक मोड पर खडी हूं , निर्णय लेने में और निर्णय के बाद की समस्याओं से निबटने में मुझे पूरे एक वर्ष लग गए। इस निर्णय का आनेवाले जीवन में क्या परिणाम निकलेगा , यह तो वक्त ही बताएगा , फिलहाल सोंचने की भी फुर्सत नहीं। ब्लॉग जगत की ओर ध्यान आकृष्ट तो होता है , पर पिछले एक महीने से बहुत कम पढ पायी हूं।
प्राइवेट मकानों की हर सुख सुविधा में जीवनयापन करने की अभ्यस्तता के बाद किसी कंपनी के क्वार्टर में जीना मुश्किल होता है। वैसे बाद में बननेवाले क्वार्टर्स भी सारे सुख सुविधायुक्त होते हैं , पर पंद्रह वर्ष पहले हमें जो अलॉट किया गया है , वह मुहल्ला छोडना भी मुश्किल लगता है। आनेवाले दस वर्षों तक लगातार यही रहना है , इसलिए बेहतर यही लगा कि अपने खर्च पर इसी क्वार्टर को ही सुख सुविधायुक्त बना दिया जाए , इस सिलसिले में पंद्रह दिनों से काम शरू करवाया गया , जो अभी तक समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा , यदि कंपनी की ओर से करवाया जाता तो शायद छह महीनों में भी नहीं हो पाता।
अभी से अप्रैल के पूर्वार्द्ध तक कुछ ग्रहों की स्थिति खराब चलेगी , इसलिए किसी भी कार्य में प्रकृति का सहयोग मिलना मुश्किल दिखता है। इस दौरान कई प्रकार की समस्याएं आएंगी। आम जन के लिए बेहतर होगा कि किसी काम को हडबडी में न कर आराम से करें। काम न बनने पर निराश न हों, समय में सुधार होते ही काम में प्रगति दिखाई पडेगी। मेरे समक्ष तो छोटी मोटी बाधाएं आनी शुरू हो गयी है , बोकारो का माहौल भी ठीक नहीं है , हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद की जानेवाली कार्रवाई में जनता के द्वार किए जानेवाले विरोध के कारण होली के पूर्व से ही माहौल गडबड चल रहा है। आज एक ऑफिस में कुछ काम के सिलसिले में मैं निकली , लौटते वक्त पुन: अतिक्रमण कर लगाये गए गुमटियों में तोड फोड शुरू हो गया था। अतिक्रमण हटाओ अभियान के विरोध से बचने के लिए पुरे शहर में सुरक्षा बल की तनती है . कल यहां से मेरा सामान ढोया जाना है , ईश्वर से प्रार्थना है , सबकुछ शांतिपूर्वक संपन्न हो जाए।