चन्द्रमा और बचपन
Amavasya born boy astrology in hindi
चंद्रमा पृथ्वी का निकटतम ग्रह है और इस कारण इसका प्रभाव पृथ्वी पर सर्वाधिक पडता है। समुद्र में ज्वार भाटे का आना इसका सबसे बडा उदाहरण है। मनुष्य के जीवन को भी यह बहुत अधिक प्रभावित करता है। इसलिए ज्योतिष में लग्नकुंडली के साथ साथ चंद्रकुंडली बनाने का भी नियम है। यह मानव मन का प्रतीक ग्रह है , इसलिए यह लग्नकुंडली में जिस भाव का स्वामी होता है या जिस भाव में स्थित होता है , वहीं जातक का सर्वाधिक ध्यान होता है।
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Moon child astrology |
'गत्यात्मक ज्योतिष' के अनुसार जन्म से 12 वर्ष तक की उम्र बाल्यावस्था की होती है। बच्चे मन से बहुत कोमल और भावुक होते हैं। उनके अंतर्मन में कोई बात गहराई तक छू जाती है। इसलिए बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास में चंद्रमा का अधिक प्रभाव देखा जाता है। जिन बच्चों का चंद्रमा मजबूत होता है वे 12 वर्ष की उम्र तक बहुत चंचल और तेज दिखाई पडते हैं। उनका बचपन स्वस्थ वातावरण में गुजरता है। वे मस्त स्वभाव के होते हैं। इसके विपरीत जिनका चंद्रमा कमजोर होता है , वे इस उम्र तक बहुत ही सुस्त और चिडचिडे नजर आते हें और बचपन में ही अपने वातावरण में घुटन महसूस करते हैं। उनको किसी शारीरिक कष्ट की संभावना भी बचपन में बनी होती है।
Strength of moon
गत्यात्मक ज्योतिष के द्वारा चंद्रमा की शक्ति का निर्णय उसके आकार के आधार पर किया जाता है। पूर्णिमा के दिन चांद अपने पूरे आकार में होता है। इसलिए उस दिन वह पूर्ण शक्ति में होता है। ऐसी स्थिति में कुंडली में चन्द्रमा को सूर्य के सर्वाधिक दूरी पर देख सकते हैं। यही कारण है कि पूर्णिमा के दिन जन्म लेनेवाले बच्चे अपने माता पिता और परिवारजनों का विशेष प्यार प्राप्त करते हैं , यही नहीं वे अपने पूरे वातावरण से भी पूणत: संतुष्ट होते हैं। अष्टमी के दिन तक चांद सामान्य शक्ति का ही रहता है , ऐसी स्थिति में कुंडली में सूर्य और चंद्र केन्द्रगत होता है। पर उसके बाद धीरे धीरे उसका आकार छोटा होता जाता है और अमावस्या के दिन चंद्रमा लुप्त हो जाता है। इस समय चंद्रमा अपनी पूरी ताकत खो देता है। ऐसी स्थिति में सूर्य और चंद्र आसपास होते हैं। इस कारण अमावस्या के आसपास जन्म लेनेवाले बच्चे शरीर से कमजोर होते हैं , माता पिता ओर परिवार जनों के प्यार में कमी प्राप्त करते हैं या अपने आसपास के किसी बच्चे को सुख सुविधायुक्त देखकर आहें भरते हैं।
Strong & weak moon
kundali me chandrama ka prabhav
इस प्रकार 12 वर्ष तक के बच्चे की सफलता , असफलता , मानसिक स्थिति और अन्य प्रकार के व्यवहार का मुख्य कारण चंद्रमा ही होता है। आज के युग में चूंकि अभिभावक बच्चों के क्रियाकलापों के प्रति अधिक जागरूक और बच्चों के चहुंमुखी विकास के लिए प्रयत्नशील हैं , अमावस्या के आसपास जन्म लेनेवाले बच्चों के व्यवहार से क्षुब्ध हो जाते हैं , पर ऐसा नहीं होना चाहिए। ‘होनहार वीरवान के होत चिकने पात’ को गलत साबित करते हुए छोटे चांद में जन्म लेनेवाले बहुत सारे बच्चों को बाद में असाधारण कार्य करते हुए देखा गया है , जिसके बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।
चन्द्रमा को मजबूत बनाने के लिए उपायों की चर्चा इस लेख में की गयी है।