नद्द: रक्षति रक्षितः
Best Slogan in Hindi on save water
नई दिल्ली। 'नद्द: रक्षति रक्षितः' विषय के साथ इस बार का आयोजन दिल्ली में भारतीय जनसंचार संस्थान संस्थान (आईआईएमसी) के सभागार में 11 और 12 अक्टूबर को होगा। इसमें देशभर के मीडिया, नदी और जल से जुड़े संगठनों के 250 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
जन सरोकार से जुड़े तमाम मुद्दों पर जागरूकता के लिए प्रयासरत संस्था स्पंदन और मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् द्वारा संयुक्त रूप से यह आयोजन किया जा रहा है। मीडिया चौपाल का आयोजन गत तीन वर्षों से किया जा रहा है। पिछले दो आयोजन भोपाल में हुए थे। इसमें देश भर के प्रमुख जन संचारक हिस्सा लेते रहे हैं। पिछले आयोजनों में विकास और विज्ञान मुख्य विषय थे। इस वर्ष चौपाल का मुख्य विषय नदी संरक्षण है।
गौरतलब है कि इस बार के चौपाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, विज्ञान भारती, भारतीय जनसंचार संस्थान, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र, इंडिया वाटर पोर्टल और भारतीय विज्ञान लेखक संघ का भी सहयोग मिल रहा है।
इस चौपाल में विचारक केएन गोविन्दाचार्य, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, सांसद और पत्रकार प्रभात झा, राज्यसभा सांसद और नर्मदा समग्र के अध्यक्ष अनिल माधव दवे, वरिष्ठ पत्रकार जवाहरलाल कौल, जल विशेषज्ञ अनुपम मिश्र, विज्ञान संचारक डॉ. मनोज पटेरिया, विज्ञान भारती के संगठक जयकुमार, मध्यप्रदेश सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. प्रमोद कुमार वर्मा, बाढ़ के विशेषज्ञ दिनेश मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय, वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक, रामेन्द्र सिन्हा, हितेश शंकर, केजी सुरेश, पर्यावरण स्तंभकार देवेन्द्र शर्मा, पंकज चतुर्वेदी, भाषाविद हेमंत जोशी, प्रमोद दूबे सहित देशभर के लगभग 250 से अधिक संचारक और जल के जानकार जुट रहे हैं। ये सभी संचारक और विषय विशेषज्ञ लोकहित में प्रभावी और उद्देश्य आधारित संचार के लिए रणनीतिक ज्ञान भी साझा करेंगे। इस मौके पर स्वतंत्र रूप से कार्यरत वेब और अन्य संचारकों की समस्याओं पर भी विमर्श होगा। बेहतर संचार के तरीके भी ढूंढे जाएंगे।
भारत हो या दुनिया का कोई अन्य देश, नदियों का महत्व सर्वविदित है। लगभग सभी संस्कृतियों में नदियों को जीवनदायिनी माना गया है और सम्मान दिया गया है। अलबत्ता भारत में बमुश्किल दशक भर पहले जिन नदियों को लेकर सभी बेफिक्र रहते थे, आज वही नदियां चिंता का सबसे बड़ा सबब बन रही हैं। कहीं सूखती नदियां, कहीं असमय उफनती नदियां, कहीं कचरे के ढेर में तब्दील होती नदियां आम आदमी ही नहीं, सरकार के भी माथे पर बल डाल रही हैं। गंगा को पुनर्जीवन देने की केंद्र की परियोजना ही साबित कर रही है कि नदियों को बचाने का मुद्दा कितना बड़ा है।
नदियों को बचाने के लिए मौजूदा सरकार ही कोशिश नहीं कर रही, नदी जल के समुचित इस्तेमाल के लिए अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी नदी जोड़ने की परियोजना बनाई थी। हालांकि यह परियोजना नदी और जल पर काम करने वालों के बीच तीखी चर्चा का विषय रही है। इस पर कई सवाल भी उठे हैं। नदियों की स्थिति बिगाड़ने में सबसे बड़ा हाथ किसका है और इसे सुधारने के लिए किस तरह की पहल की जानी चाहिए? आम आदमी को नदियों के प्रति संवेदनशील कैसे बनाया जाए?
इन्हीं मुद्दों पर चर्चा के लिए देश के प्रमुख जल कार्यकर्ता, इस क्षेत्र के विशेषज्ञ और जन-संचारक 11 और 12 अक्टूबर को ‘मीडिया चौपाल’ में जुट रहे हैं। मीडिया चौपाल का आयोजन नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान में किया जा रहा है। इस दो दिनी चौपाल में मीडिया और नदी के विशेषज्ञ न सिर्फ एक-दूसरे को जानने-समझने की कोशिश करेंगे, बल्कि अपने-अपने ज्ञान के आधार पर परस्पर सीखने-सिखाने का काम भी करेंगे।
Slogan in save water in Hindi
पानी की रक्षा, देश की सुरक्षा !
पानी की बचत आज की जरूरत !
जल की बर्वादी, जीवन की बर्बादी !
जल तो है सोना, इसे कभी न खोना !
तुम मुझे जल दो, मैं तुझे जीवन दूंगा !
तुम पानी बचाओ और ये तुम्हे बचाएगा !
जल है तो जीवन है, इसके बिना निर्जन है !
हम सबने यह थाना है, पानी को बचाना है !
जल संरक्षण जरूरत भी है और कर्त्तव्य भी !
बच्चे, बूढ़े या जवान, जल बचाकर बने महान !
जो पानी को बचाएगा, समझदार वो कहायेगा !
पानी अगर न बचाओगे, खुद प्यासे रह जाओगे !
जबतक जल सुरक्षित है, तबतक कल सुरक्षित है !
जो न जाएगा जल के लिए, वो न बचेगा कल के लिए !
पानी की बर्वादी रोकिए, पानी बिन क्या होगा सोचिए !
जल जीवन का अनमोल रतन, इसे बचाने का करो जतन !
आओ मिलकर कदम बढ़ाएँ, जल संरक्षण की आदत बनाएँ !
कल को प्यासे ही रह जाओगे, यदि आज जल नहीं बचाओगे !
हर कोई जल बचा सकता है, बून्द बून्द से सागर बना सकता है !
जिसे अबतक न समझे वो कहानी हूँ मैं, बर्वाद न करो पानी हूँ मैं !